देश में सीओपीडी के कम निदान की समस्या के लिए स्पाईरोमीट्री जरूरी
फेफडों की बीमारी मृत्यु का दूसरा बड़ा कारण: डा. बीपी सिंह सीओपीडी के मरीज ठण्ड में सुबह की सैर करने से बचे:डा. एके सिंह लखनऊ। विश्व सीओपीडी क्रोनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी रोग दिवस फेफ ड़ों की इस लंबी बीमारी के बारे में जागरुकता बढ़ाने के लिए नवंबर में इसका अनुपालन किया जाता है। यह रोग मौत का दूसरा सबसे बड़ा कारण है और भारत में होने वाली लगभग 9,5 प्रतिशत मौतें इस रोग के कारण होती है। क्रोनिक इन्फ्लेमेटरी लंग डिसऑर्डर समूह की बीमारियों को सीओपीडी शब्द से परिभाषित किया जाता है। यह जानकारी देते हुए डॉ बीपी सिंह रेस्पिरेटरी क्रिटिकल केयर एंड स्पेशलिस्ट फॉर स्लीप मेडिसिन लखनऊ ने कहा इस रोग में फेफड़ों को क्षति होती है और फेफड़ों में हवा का प्रवाह अवरुद्ध हो जाता है। सीओपीडी रोग धीरे-धीरे बढ़ता है, जिस वजह से मरीज अपनी बीमारी को पहचान नहीं पाते और समय पर मेडिकल परामर्ष प्राप्त नहीं कर पाते हैं। सीओपीडी के भार को कम करने के लिए इसका समय पर निदान होना जरूरी है, जिसके अच्छे परिणाम मिल सकते हैं। उन्होने बताया सीओपीडी आम तौर से लंबे समय तक हानिकारक कणों या गैसों जैसे सिगरेट के धुएं, चूल्हे के धुएं और प्रदूषक तत्वों आदि के संपर्क में रहने के कारण होता है। इस स्थिति में मरीजों को सांस फूलने, खांसी, बलगम बनने, खराश होने और छाती में जकडऩ का अनुभव होता है। इन मरीजों में सीओपीडी के निदान के लिए लंग फं क्शन टेस्ट किया जाता है जिसे स्पाईरोमीट्री कहा जाता है। स्पाईरोमीट्री सीओपीडी 2 के लिए एक गोल्ड स्टैंडर्ड डायग्नोस्टिक टेस्ट है और इसमें व्यक्ति द्वारा सांस के साथ खींची और छोड़ी जाने वाली हवा की मात्रा को मापा जाता है। स्पाईरोमीट्री का उपयोग बहुत कम हो रहा है, खासकर प्राथमिक या इलाज के पहले बिंदु पर स्थित फिजि़शियन बीमारी 2 के प्रारंभिक चरणों में इसका उपयोग नहीं करते। इसका मुख्य कारण स्पाईरोमीटर्स की कम उपलब्धता और इस क्षेत्र में इनोवेशन की कमी है।
स्पाईरोमीट्री टेस्ट के महत्व के बारे में डॉ बी पी सिंह ने कहा क्रोनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिज़ीज़ सीओपीडी में सांस लेने में लगातार दिक्कत होती है और फेफड़ों में हवा का प्रवाह सीमित हो जाता है। सीओपीडी के धीरे-धीरे बढऩे वाली बीमारी होने के कारण इसके शुरुआती लक्षण अक्सर नजरंदाज हो जाते हैं और लक्षण सामने आने तक यह बीमारी काफी गंभीर रूप ले चुकी होती है। सीओपीडी के निदान के लिए चिकित्सकों द्वारा अक्सर मरीज के इतिहास और क्लिनिकल परीक्षण पर भरोसा किया जाता है। जिसमें बीमारी के शुरुआती संकेतों को चूक जाने की संभावना होती है। इसलिए इस बीमारी के शुरुआती लक्षणों का अनुभव करने वाले मरीजों के लिए इलाज के पहले चरण में स्पाईरोमीटर परीक्षण के उपयोग द्वारा निदान का मानकीकरण शीघ ्रनिदान और उपचार सुनिश्चित करने के लिये महत्वपूर्ण है। सीओपीडी के मरीज ठण्ड में सुबह की सैर करने से बचे:डा. एके सिंह डॉ ए के सिंह निर्देशक और लखनऊ के चंदन अस्पताल में पल्मोनरी मेडिसिन के विभागाध्यक्ष ने कहा अस्तमा के मरीजों को सही इलाज करना चाहिए। अगर आपको एलर्जी है, इलाज नहीं मिलता सांस की नली मेें सूजन है, या सांस लेने की नली इंफेक् श्न से सिकुड गयी तो खास ख्याल रखना चाहिए। सीओपीडी का सबसे सही इलाज इन्हेलर है इससे दवा सिर्फ आपके फेफडों में जाती है और मुहं में जो दवा का इफेक्ट होता है उसे आप कुल्लाकर के कम कर सकते है। इन्हेलर का इफेक्ट सही होता है, इसका कोई साइड इफेक्ट नहीं होता है। डा. एके सिंह ने बताया भारत विकासशील देश है यहां पर निर्माण कार्य होने और धूल,धुए आदि से फेफडे प्रभावित होते है। इसके लिये यह जरुरी है कि आप ऐसे स्थानों पर न जाये जहां प्रदूषण का स्तर अधिक हो ऐसे मरीज जिन्हें फेफडे की बीमारी या सांस फूलना एजली आदि हो तो ऐसे लोग घर में एयर प्यूरीफायर लगा सकते है मास्क पहन ले धूए-धूल और ध्रुमपान से बचे। योग करें खान पान का ख्याल रखें और ऐसे मरीज इस समय जब वातावरण में प्रदूषण अधिक है तो सुबह की सैर करने से बचे।
डा. एके सिंह ने कहा लंग फ ंक्शन टेस्ट खासकर स्पाईरोमीट्री टेस्ट करने से सीओपीडी के निदान में होने वाले विलंब से बचा जा सकता है, बीमारी का समय पर प्रबंधन कर इसे गंभीर बनने से रोका जा सकता है। इसलिए जिन क्षेत्रों और आबादी में सांस की बीमारियां जैसे सीओपीडी होने की ज्यादा संभावना हो और जो लगातार सांस की समस्याओं का अनुभव कर रहे हों, उन्हें स्पाईरोमीट्री टेस्ट से काफ ी मदद मिल सकती है। सांस की बीमारियों के लक्षण किसी के भी नियंत्रण में नहीं होते, लेकिन सतर्क व जागरुक बने रहकर समय पर निदान व पहचान किया जाना जरूरी है। इनोवेशन द्वारा ऐसी डिवाईसेज़ प्रस्तुत करने की दिशा में काफ ी प्रगति हुई है, जो पोर्टेबिलिटी और वायरलेस फंक्शन डिजीज़ के साथ स्पाईरोमीटर को देश के हर व्यक्ति के लिए किफायती बना सकें। स्पाईरोमीटर डिवाईसेज़ में इनोवेशन और इसकी उपलब्धता के बारे में डॉ जयदीप गोगटे ग्लोबल चीफ मेडिकल ऑफि सर सिप्ला ने कहा स्पाईरोमीटर सीओपीडी के शुरुआती और सटीक निदान में उपयोगी साबित हुए हैं। स्पाईरोमीटर्स की उपलब्धता में होने वाली कमी को पूरा करने के लिए सिप्ला ने भारत का पहला न्यूमोटैक आधारित पोर्टेबल वायरलेस स्पाईरोमीटर स्पाईरोफ ाई प्रस्तुत किया है, जिसने पूरे देश में सटीक स्पाईरोमीट्री की उपलब्धता काफ ी अधिक बढ़ा दी है। स्पाईरोफ ाई का परीक्षण मरीजों में किया गया है, और यह 97 प्रतिशत सेंसिटिविटी3 के साथ सीओपीडी के निदान में गोल्ड स्टैंडर्ड स्पाईरोमीटर के बराबर सटीक पाया गया है। --------------------------------------------------- Spirometry Key to Addressing the Challenge of COPD Under-diagnosis in the Country Dr. B. P. Singh, Respiratory, Critical Care & Specialist for Sleep Medicine, Lucknow said, Dr. Jaideep Gogtay, Global Chief Medical Officer, Cipla Ltd. Dr. A.K. Singh, Director & HOD of Pulmonary Medicine at a Chandan hospital in Lucknow

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