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Showing posts from January, 2021

बुजुर्गों के लिए एक डिजिटल एंगेजमेंट एप्‍प

बुजुर्गों की भावनात्मक सेहत को सहयोग देने वाला एक नया और अनूठा ऑनलाइन प्‍लेटफॉर्म लखनऊ: विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्‍लूएचओ) की रिपोर्ट के मुताबिक भारत में करीब 57 मिलियन (5.7 करोड़) लोग डिप्रेशन और 38 मिलियन (3.8 करोड़) लोग एंग्‍जाइटी का शिकार हैं। अभूतपूर्व कोरोना महामारी की वजह से इसकी संख्या में कई गुणा बढ़ोतरी हुई है और इसकी वजह से सभी उम्र के लोग, खासकर बुजुर्ग सबसे ज्यादा प्रभावित हुए हैं। पिछले कुछ महीनों में ऐसे लोगों की मानसिक सेहत पर जरबदस्त असर पड़ा है। सीनियॉरिटी के फाउंडर तपन मिश्रा ने कहा, ‘’हम एक तरह से मानसिक महामारी की चपेट में हैं क्योंकि कोरोना वायरस ने हम सभी को प्रभावित किया है, चाहे वह किसी भी भौगोलिक और सामाजिक-आर्थिक पृष्ठभूमि के क्यों न हो। वरिष्ठ नागरिकों के पास मनोरंजन का सीमित साधन होता है और हमारी मंशा ऐसे चुनौतीपूर्ण समय में उनकी मानसिक सेहत का ख्याल रखने की थी। एवरग्रीन क्लब एक अनोखा डिजिटल प्लेटफॉर्म है जिसकी मदद से सीनियॉरिटी ने उनकी मदद करने की पहल की है। हमारे पायलट सेशन को जबरदस्त समर्थन मिला और अब हमें इस एप्‍प को सभी वरिष्ठ नागरिकों के लिए उपलब्ध कर

विश्व गौरव की ओर बढ़ने की प्रेरणi देने वाला व्यक्तित्व था नेताजी का

राष्ट्र आज महान देशभक्त नेताजी सुभाष चंद्र बोस की 125वीं जयंती मना रहा है। सुभाष बाबू का जीवन वृत्त समस्त राष्ट्र साधकों, राष्ट्रचिंतकों के लिए गौरव बोध कराने वाला है। उनका सतत संघर्षपूर्ण, साहसिक जीवन प्रेरणा देना वाला है। सुभाष चंद्र बोस की पूर्ण स्वराज की अवधारणा का आशय भारतीय संस्कारों से आप्लावित राज्य था। बंगाल का शेर कहे जाने वाले नेताजी सुभाष चन्द्र बोस अग्रणी स्वतंत्रता सेनानियों में से एक थे। उनके नारों “दिल्ली चलो” और “तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हें आजादी दूंगा” से युवा वर्ग में एक नये उत्साह का प्रवाह हुआ था। पूरे देश में नेताजी के इस नारे को सुनकर राष्ट्रभक्ति की अलख जगी। जो लोग यह कहते हैं कि शांति और अहिंसा के रास्ते से भारत को आजादी मिली, उन्हें एक बार नेताजी के जीवन चरित्र का अध्ययन करना चाहिए। सुभाष बाबू का जन्म आज के दिन 1897 में ओडिशा प्रांत के कटक में हुआ था। उनके पिता जानकी नाथ बोस एक प्रख्यात वकील थे जो कालांतर में बंगाल विधान सभा के सदस्य भी रहे। सुभाष बाबू एक सच्चे राष्ट्रभक्त, समाज सुधारक एवं आदर्श राजनेता थे। उनका आर्थिक सामाजिक चिंतन हमारा सदैव मार्गदर्शन करता

डॉ प्रत्युष रंजन का ब्लाइंडनेस खत्म करने का लक्ष्य

लखनऊ प्रतिष्ठित नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉक्टर प्रत्युष रंजन ने आंखों के बेहतर स्वास्थ्य को बढ़ावा देने और समाज से प्रिवेंटेबल ब्लाइंडनेस यानी ऐसे अंधेपन की समस्या को खत्म करने का लक्ष्य रखा है, जिनकी रोकथाम संभव है। नेत्र रोग विशेषज्ञ के रूप में 10 वर्षों का अनुभव रखने वाले डॉ. रंजन मोतियाबिंद की सर्जरी (बच्चों एवं वयस्कों दोनों में) के विशेषज्ञ डॉक्टर हैं। उन्हें इंट्राऑक्यूलर लेंस इप्लांट के साथ जटिल मोतियाबिंद की समस्या से निपटने का व्यापक अनुभव है। डॉ. रंजन सर्जरी के बाद यह सुनिश्चित करते हैं कि व्यक्ति बिना चश्मे के आसानी से जीवन बिता सके। एक विशेषज्ञ नेत्र रोग विशेषज्ञ के रूप में काम करते हुए डॉ. रंजन का उद्देश्य द अशोका फाउंडेशन एनजीओ के माध्यम से आई केयर को सभी के लिए सुलभ बनाना है। फाउंडेशन का उद्देश्य आंखों के स्वास्थ्य को बढ़ावा देना और समाज से प्रिवेंटेबल ब्लाइंडनेस को खत्म करना है। डॉ. रंजन ने फाउंडेशन की स्थापना 2010 में उस समय की थी, जब वह नई दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल से पोस्ट ग्रेजुएशन कर रहे थे। वहां पोस्ट ग्रेजुएशन करते समय उन्होंने यूपी और बिहार के ऐसे कई गरीब मरीजों को

भ्रष्टाचार की खूनी छत से उठते सवाल

उत्तर प्रदेश में गाज़ियाबाद ज़िले के मुरादनगर नगर पालिका में एक बार फिर भ्रष्टाचार ने खून की होली खेली । दिवंगत आत्मा को विदाई देने गए पचीस परिजन और शुभचिंतक श्मशान में बने शेड की छत गिरने से खुद दिवंगत हो गए । परम्परागत तरीके से ईओ, जेई व सुपरवाइजर को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया । ठेकेदार भी गिरफ्तार हुआ । मुख्यमंत्री ने दुर्घटना में मारे गये लोगों के आश्रितों को मदद करने का आश्वासन दिया और उच्चस्तरीय जांच की घोषणा की । सरकार की त्वरित कार्यवाही प्रशंसनीय है । अब इस कड़ी कार्यवाही से राजनेता, नौकरशाह और ठेकेदारों का गठजोड़ क्या सबक लेता है, यह तो भविष्य के गर्भ में है । ऐसा नहीं है कि मुरादनगर में घटी यह पहली खूनी घटना है । इससे पहले वाराणसी में निर्माणाधीन फ्लाईओवर ढह गया जिसमें 18 लोग मारे गए । तीन महीने बाद बस्ती ज़िले में एक फ्लाईओवर गिरा । इसके एक साल बाद चंदौली जिले में कर्मनाशा नदी पर बना एक पुल क्षतिग्रस्त हो गया । ये सिलसिला अनवरत ज़ारी है । इससे कोई फर्क नहीं पड़ता की सरकार किस पार्टी की है । सरकार का या विभाग का मुखिया कितना सख्त है । देश के हुक्मरानों की करतूतों के कारण फोर्ब्स

बैरियाट्रिक सर्जरी में देर करने से बढ़ता है कोविड का खतरा

लखनऊ रू कोविड.19 की महामारी ने हेल्थकेयर सिस्टम की कार्यप्रणाली को गंभीर रूप से प्रभावित किया है। लोग संक्रमण के डर से बैरियाट्रिक सर्जरी को लगातार टाल रहे हैं। इसके चलते मोटापे से ग्रस्त मरीज़ों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। बैरियाट्रिक सर्जरी न सिर्फ मोटापा बल्कि कोविड के खतरे को बढ़ाने वाली सभी संबंधित बीमारियों से निजात पाने में मदद करती है। न्यु यॉर्क यूनिवर्सिटी ग्रॉसमैन स्कूल ऑफ मेडिसीन की हालिया रिपोर्ट के अनुसारए कैंसर या फेफड़ों के कैंसर के मरीज़ों की तुलना में मोटापे से ग्रस्त मरीज़ों में कोविड का खतरा ज्यादा है। भारतीयों में भी इसका बहुत ज्यादा खतरा है। साकेत स्थित मैक्स सुपर स्पेशलिटी अस्पताल के मेटाबॉलिक और बैरियाट्रिक सर्जरी के चेयरमैनए डॉक्टर प्रदीप चौबे ने बताया किए श्बैरियाट्रिक मरीज दूसरे मरीज़ों की तुलना में अधिक खास हैं क्योंकि उनमें हाइपरटेंशनए टाइप.2 डायबिटीज़ए कार्डियोवस्कुलर डिजीज़ और सांस संबंधी बीमारियों का खतरा बहुत ज्यादा होता है। मोटापे से ग्रस्त लोग जब कोविड कि चपेट में आते हैंए तो उनका शरीर अन्य मरीज़ों की तुलना में गंभीर प्रतिक्रिया देता है। ऐसे में उन