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Showing posts from May, 2019

दशकों बाद भी घावों में टीस बाकी है

हुजैफ़़ा लखनऊ ---भारत-चीन सीमा पर आज भी वह युद्घ के भयानक लम्हें उन लोगो को याद है जिन्होंने इस लड़ाई को देखा और महसूस किया। आज सत्तावन साल बीत जाने के बाद भी हार के घावों में टीस है। सेना अपने उन जवानों को याद करती है जिन्होंने अभावों और कम संसाधनों के कारण अपनी जान गवांई। सत्तावन सालों में भी भारत ने इस हार से सबक नहीं लिया है। विकट मौसम में बिना साधनों के हमारे वीर सैनिकों ने भारत की रक्षा के लिये अपने प्राणों की आहूति दे दी। ऐसी सर्द हवाएं जिसमें लोगो को घर में रजाई मे भी सर्दी लगेे और ऐसा घटाटोप अंघेरा की अपने ही हाथ न दिखाई दे ऐसी भयानक सर्दी और पहाडी दुर्गम रास्तों पर चीन ने धोखे से भारत को १९६२ में १९-२० की रात भारत पर हमला किया। अरुणाचल और सिक्कीम में घमासान हुआ, चीन ने स्वंय ही १४ नबम्बर को युद्घ विराम किया। इस दौरान उसने  भारत के अपने से सटे हुए इलाको पर अपना लाल पर्चम फहरा दिया जो आज भी लहरा रहा है। इस शिकस्त में कुमाडं रेजीमेंट के ११४  लड़ाके शहीद हुए थे। यह कटु सत्य है कि भारत ने हमे हमारी धरती पर बुरी तरह हराया और हमारी जमीन पर अपना कब्जा किया जिसमें से आज भी ५० प्रतिश

इमाम अली ने दुनिया को शिक्षा, भाईचारे का संदेश दिया

हुजैफा लखनऊ। 21 रमज़ान सन 40 हिजरी क़मरी को हजऱत अली अलैहिस्सलाम ने इस नश्वर संसार को त्याग दिया। उन्होंने अपने परिजनों को इकत्र करके वसीयत की और शांत हृदय से वे अपने पालनहार से जा मिले।  हजऱत अली अलैहिस्सलाम यद्यपि दुष्ट इब्ने मुल्जिम की ज़हर से बुझी तलवार से शहीद हो गए किंतु उनका मार्ग सदा के लिए लोगों का मार्ग दर्शक रहेगा। हजऱत अली अलैहिस्सलाम अपने जीवन के अन्तिम क्षणों तक इस्लामी शिक्षाओं के प्रचार एवं प्रसार के लिए प्रयास करते रहे।  अपने जीवन के अन्तिम महत्वपूर्ण क्षणों में उन्होंने जो वसीयत की है वह आने वाली पीढिय़ों के लिए पाठ है जिससे लाभ उठाना चाहिए। अपनी वसीयत में वे कहते हैं कि हे मेरे सुपुत्र हसन! तुम और मेरी अन्य संतानों मेरे परिजनों और जिस तक मेरा यह संदेश पहुंचे उन सब से मैं सिफ़ारिश करता हूं कि अपने जीवन में कभी भी तक़वे अर्थात ईश्वरीय भय को हाथ से न जाने दो।  इस बात का प्रयास करो कि जीवन के अन्तिम समय तक ईश्वर के धर्म पर बाक़ी रहो।  तुम सब मिलकर ईश्वर की रस्सी को मज़बूती से थाम लो।  ईमान और ईश्वरीय पहचान के आधार पर तुम एकजुट रहो।  मतभेदों से सदैव बचो क्योंकि पैग़म्बर

अतिक्रमण से पर्यावरण को नुकसान, जिम्मेदार कौन

हुजै़फा लखनऊ। अतिक्रमण जीवन और व्यवस्था के लिए सबसे बड़ा खलनायक बन गया है। जिधर देखिए हर तरफ अतिक्रमण की भरमार है। इस अतिक्रमण के कारण बाजारों और रास्तों पर निकलना दूभर हो गया है। कुछ किलोमीटर की दूरी घंटों में तय होती है। इससे एक तो हमारी राष्ट्रीय सम्पदा यानि पेेट्रोलियम पदार्थों का नुकसान होता है तो दूसरी तरफ जाम के कारण प्रदूषण अधिक होने से लोगों के स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ रहा है। अतिक्रमण से आज सबसे ज्यादा खतरा हमारे पर्यावरण को हो रहा है। पर्यावरण में प्रदूषण बढने के कारण सांस, हदय, आंखों की बीमारी के साथ ही तमाम और तरह की बीमारियों से लोग जूझ रहे है। इससे अस्पतालों में पहुंचने वाले मरीजों की संख्या दिनों-दिन बढ़ती जा रही है।  राजधानी लखनऊ में जब भी कोई बड़ा आयोजन होता, बड़े कार्पोरेट मेहमान आते या राजनेता आते तो उनके आवभगत में और राजधानी की बेहतर छवि गढ़ने लिए पूरा प्रशासनिक अमला पूरी सामर्थ से काम करता है। उसका परिणाम भी पूरे शहर में दिखाई देता है, किन्तु आयोजन खत्म होने के बाद राजधानी का हाल फिर वही हो जाता जो पहले था, यानि अतिक्रमण, जाम, शोर, गन्दगी...। यानि जब किसी को रा

बच्चें बालगृहों को कैदखाना क्यूं समझते?

हुजै़फा लखनऊ। कई बार बालगृहों से बच्चों के भागने का मामला अखबारों की सुखियां बनता है, फिर उचित उपाय किए वह मामले बंद हो जाते है। ऐसे हालात आखिल क्यूं उन बेसहारा मासूमों के सामने आते है जो पहले से ही प्रकृति के अभिषाप को भुगत रहे है। कोई अनाथ है, तो किसी को अपनों ने ठुकरा दिया। ऐसे मासूम के नाम पर सरकार द्वारा भारी भरकम रकम भी आती है, लोग धर्म-कर्म के नाम पर भी इन बालगृहों को ठीक-ठाक रकम व सामान देते है। फिर यहां पर ऐसा वातावरण क्यूं बन जाता कि बच्चें इसे अपना घर न समझ कर कैदखाना समझते है। इन सवालों के जवाब हमें ही खोजने होगें ताकि ऐसे बेसहारा मासूमों को अपना आशियाना न छोडना पडे़।  राजधानी लखनऊ में महिला कल्याण विभाग द्वारा निराश्रित व बेसहारा बच्चों के लिए राजधानी में आधा दर्जन सरकारी राजकीय बालगृह संचालित किये जा रहे हैं। इन बालगृह व अनाथालय गृहों में दानदाताओं द्वारा दिये गये पंखे व कूलर यहां के कर्मचारियों व अधीक्षकों द्वारा इस्तेमाल किये जा रहे है। फल,दूध मिठाईयों और अच्छी खाद्य सामग्रियां यहां काम करने वालों के घरों में पहुंच रही है। उन कर्मचारियों पर तो अब तक कोई कार्रवाई नहीं

सियासत इसे कहीं उज्जड़ प्रदेश न बना दे 

हुजै़फा लखनऊ। प्रदेश में बढ़ती आपराधिक घटनाएं, बेरोजगारी, गिरता शिक्षा का स्तर कही हमारे उत्तर प्रदेश को उत्तम प्रदेश की जगह उज्जड प्रदेश न बना दे। किसी भी देश का प्रजातंत्र सरकारी मशीनरी, न्याय-व्यवस्था और कानून-व्यवस्था पर निर्भर करता है। इन सभी के तालमेल से लोकतंत्र आज भी देश मे जिंदा है। बेहतर कानून व्यवस्था, सुरक्षा और सम्मान की रक्षा के लिए प्रजातंत्र का मजबूत होना अति आवश्यक है। विकास और जनकल्याण का जो खाका सरकारें खींचती हैं, उनकी सफलता का पूरा दारोमदार सरकारी मशीनरी पर ही होता है। यह बात सभी सरकारों के लिये होती है। उत्तर प्रदेश को 'उत्तम प्रदेश' बनाने की सोच से विकास का जो खाका सरकार ने तैयार किया था, उसकी सफलता भी पूरी तरह सरकारी मशीनरी के काम-काज पर ही निर्भर है। सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी ने प्रदेश की कमान एक साफ छवि के व्यक्ति को यह सोचकर सौपी थी कि प्रदेश में बेहतर काम और कानून व्यवस्था स्थापित होगी तो मिसाल बनेगी और 2019 के चुनाव की वैतरणी पार कर केन्द्र की सत्ता पर बने रहने की भाजपा की राह आसान हो सकेगी। क्योंकि उत्तर प्रदेश की राजनीति ही केन्द्र की राजनीति

सातवें चरण में गम्भीर अपराधों के सर्वाधिक आरोपी प्रत्याशी मैदान में

 हुजैफा लखनऊ। 2014 के लोकसभा चुनाव में 19 प्रतिशत दागी थे जो अब बढ़कर 2019 में 23 प्रतिशत हो गये यानि इसमे 4 प्रतिशत का इजाफा हुआ है। 2014 के लोकसभा चुनाव के सापेक्ष 15 प्रतिशत गम्भीर आपराधियों के सापेक्ष 19 प्रतिशत, 4 प्रतिशत का बढोत्तरी हुई है। 17 वीं लोकसभा में उत्तर प्रदेश के 80 लोकसभा सीटों पर 979 प्रत्याशियों ने चनाव लड़ा जिसमें से 158 प्रत्याशियों  के शपथ पत्रों का विश्लेषण एडीआर द्वारा किया गया जिसमें 220 उम्मीदवारों ने अपना आपराधिक रिकार्ड घोषित किया जो 23 प्रतिशत है। इनमें से 181 प्रत्याशियों ने गंभीर आपराधिक रिकॉर्ड घोषित किया जो 19 प्रतिशत है। 358 उम्मीदवारों ने अपने को करोडपति घोषित किया जो 37 प्रतिशत है। औसत सम्पत्ति प्रति उम्मीदवार 4.79 है। सातवें चरण में उत्तर प्रदेश के 13 लोकसभा क्षेत्र महाराजगंज, कशीनगर, वाराणसी, गोरखपुर, बांसगांव, गाजीपुर, सलेमपुर, मिर्जापुर, बलिया, घोसी, देवरिया, चंदौली, राबर्टसगंज ने वोट डाले जायेगे। 26 प्रतिशत आपराधिक प्रवृत्ति के प्रत्याशी मैदान में है, जिसमें से 22 प्रतिशत उम्मीदवार गम्भीर आपराधिक प्रवृत्ति के हैं। सबसे ज्यादा आपराधिक मामले म

पूर्वाचल की १३ सीटों पर अंतिम चरण में घमासान

हुजै़फा लखनऊ। अब २०१९ का चुनाव अंतिम चरण पर आ पहुंचा है। अब तक हुए चुनाव से एक बात उभर कर सामने आ रही है कि किसी भी दल को स्पष्टï बहुमत नहीं मिल रहा, यानि जोड़-तोड़ की सरकार केन्द्र में बनने जा रही है। पूर्वांचल की 13 सीटों पर 19 मई को मतदान होना है और हर जगह गठबंधन के नाम की गूंज सुनाई पड़ रही है। वाराणसी से लेकर गाजीपुर, घोसी, देवरिया, गोरखपुर तक पूरा नजारा १४ से बिल्कुल अलग नजर आ रहा है। वाराणसी से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी चुनाव लड़ रहे हैं वहीं गोरखपुर सीट मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का गढ़ मानी जाती है। लेकिन 19 का लोकसभा चुनाव उत्तर प्रदेश में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बनाम गठबंधन के बीच हो रहा है। हर सीट पर गठबंधन उम्मीदवार भाजपा को कड़ी टक्कर दे रहे है। वैसे तो पूर्वांचल की हर सीट के वोटरों का अपना मिजाज है लेकिन बदले सियासी समीकरण बदलाव साफ  दिख रहा है। देश के सबसे बड़े सूबे के पूर्वांचल क्षेत्र ने जब-जब सियासी तस्वीर बदली है तब-तब राजनीतिक दल मजबूत रहे हैं। 14 में इसी पूर्वांचल ने भाजपा को एक बड़ी ताकत दी थी और इस बार वैसी स्थिति देखने को नहीं मिल रही है। हर सीट पर भाजपा

शिवनादर यूनिवर्सिटी में अंडरग्रेजुएट प्रोग्राम शुरू

आवेदन की अंतिम तिथि 4 जून हुजै़फा लखनऊ। राष्ट्रीय राजधानी में शिव नादर यूनिवर्सिटी निजी क्षेत्र में भारत के अग्रणी विस्तृत, शोध-केंद्रित, बहुविषयक विश्वविद्यालयों में से एक है। इस विश्वविद्यालय ने 2019 के एकेडेमिक सत्र के लिए सभी अंडरग्रेजुएट कार्यक्रमों के लिए प्रवेश की घोषणा की। विद्यार्थी   www.snu.edu.in   पर उपलब्ध कॉमन एडमिशन फॉर्म भरकर जमा करें। आवेदन की अंतिम तिथि 4 जून है। विद्यार्थियों को प्रवेश उनके 12 वीं कक्षा के परिणामों, एसएनयूसैट और एकेडेमिक प्रोफिशियंसी टेस्ट (एपीटी) के आधार पर दिया जाएगा। प्रवेश परीक्षाओं (एसएनयूसैट और एपीटी) में बैठने की अंतिम तिथि 9 जून, 2019 है। डा, राजीव कुमार सिंह, असिस्टेंट डीन ऑफ अंडरग्रेजुएट स्टडीज, शिव नादर यूनिवर्सिटी ने कहा ‘‘हमारा निरंतर प्रयास है कि हम विद्यार्थियों को उनके चयनित विषय में संपूर्ण ज्ञान दें और संबंधित संकायों की विस्तृत जानकारी भी। 21 वीं सदी में पृथक रूप से पढ़ाए गए विषय विद्यार्थी की रचनात्मक स्वतंत्रता, क्रिटिकल थिंकिंग और प्रॉब्लम सॉल्विंग का कौशल खत्म कर देते हैं। एक शोध आधारित विश्वविद्यालय के रूप में हम ‘लर्निंग बा