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Showing posts from December, 2020

पंचायत चुनाव से दूर रहेगे राजनीतिक दल

हुजैफ़ा लखनऊ। प्रदेश में होने वाले पंचायत चुनाव में राजनीतिक दलों की दखल सिर्फ जिले की पंचायतों तक रहेगी। गांवों की पंचायतों से सभी राजनीतिक दल अपने को दूर रखेंगे। इसके पीछे यह माना जा रहा है कि ग्राम प्रधान के चुनाव में एक ही जाति से कई प्रत्याशी मैदान में होते हैं। ऐसे में किसी एक को प्रत्याशी बनाने या समर्थन देने में उसी जाति के तमाम लोग विरोधी हो जाएंगे। जिसका असर 22 के विधानसभा चुनावों में पड़ सकता है। राज्य में पंचायत का चुनाव कभी दलीय आधार पर नहीं हुआ है। सिर्फ जिला पंचायत सदस्य के चुनाव में राजनीतिक दल खुलकर समर्थित प्रत्याशी देते रहे हैं। इससे जिस दल के सदस्य अधिक चुने जाते रहे हैं। वह दल जिला पंचायत अध्यक्ष बनाने में सफल हो जाता था। बीडीसी चुनाव में सीधा दखल नहीं देने के बाद भी जब ब्लाक प्रमुख का चुनाव होता है उस समय राजनीतिक दल दांवपेंच से अपना ब्लाक प्रमुख बनाने की कोशिश करते रहे हैं। इस बार के चुनाव में भी सभी राजनीतिक दलों ने अपनी तैयारी जिला पंचायत सदस्य के चुनाव तक सीमित रखा है। क्षेत्र बड़ा होने से जिला पंचायत के चुनाव में दलों की दखल होती है। जिला पंचायत सदस्य चुनाव

जैम पोर्टल बना भ्र्ष्टाचार का केंद्र

जैम पोर्टल बना भ्र्ष्टाचार का केंद्र भारत सरकार की अतिमहत्वपूर्ण योजना "जैम पोर्टल" भ्र्ष्टाचार का केंद बना हुआ है जिसके सम्बन्ध में अनेको बार पत्र एवं ट्विटर के माध्यम से सूचित कर चुका हूँ ये जैम पोर्टल स्टार्ट-अप कंपनियों के लिए एक काल के रूप में कार्य कर रहा है स्टार्टअप कंपनियां जैम के तानाशाही नियम एवं शर्तों के द्वारा रौंदी जा रही है आज का समय बहुत ही बहुमूल्य है क्योकि पूरे एक वर्ष कोविड -19 से युध्य के पश्चात स्टार्टअप कंपनियां पुनः अंकुरित होने का प्रयास कर रही है परन्तु जैम में व्याप्त भ्र्ष्टाचार के पालन पोषण के लिए जैम के द्वारा बनाये गए कठोर नियम एवं शर्तों से स्टार्ट-अप कंपनियां रौंदी जा रही हैं ! उक्त बातें इंडियन स्टार्टअप यूनियन के राष्ट्रीय संयोजक श्री शुधेस्वर श्रीवास्तव जी लखनऊ के एक रेस्ट्रा में प्रेस वार्ता के दौरान कही ! श्री श्रीवास्तव जैम पर आरोप लगाते हुए तत्थ्यो के साथ कहा कि जब क्रेता किसी कंपनी को डायरेक्ट L1 आर्डर देता है और

कोलेस्ट्राल लेबल बडऩे से लीवर की बीमारियों का खतरा : डा. प्रवीण

कोलेस्ट्राल लेबल बडऩे से लीवर की बीमारियों का खतरा : डा. प्रवीण लखनऊ: जहाँ हम सब सर्दियों के मौसम का आनंद उठा रहे है वही अब न्यू ईयर की पार्टियों की भी तयारी और हलचल शुरू हो चुकी है। इस दौरान एल्कोहल, मीठा और ऑयली खाना भी लोगों द्वारा रेगुलर खाया जाता है। रीजेंसी सुपरस्पेशलिटी हॉस्पिटल, लखनऊ के डाक्टरों ने लोगों को सलाह दी है कि जो भी खाएं उसके प्रति सतर्क रहें नहीं तो उनमे फैटी लीवर की बीमारियाँ बढ़ सकती है। डाक्टरों ने यह भी सलाह दी है कि कोलेस्ट्राल को कंट्रोल करके रखें और एल्कोहल से सम्बंधित डिसऑर्डर से बचें रहें। इसके अलावा ब्राजील में हुई एक रिसर्च में बताया गया है कि सर्दियाँ शुरू होने पर कोलेस्ट्राल का लेवल बढ़ता है और जब गर्मियों का मौसम आता है तो घटता है। सर्दियों में लोग एक्सरसाइज कम करते हैं और घर के अंदर ज्यादा रहते हैं और इसलिए उन्हें सूर्य की रोशनी कम मिल पाती है। जब सूर्य की रोशनी कम मिलती है तो उनमे विटामिन डी भी कम होता है। इससे कोलेस्ट्राल प्रभावित होता है। इन सभी चीजों की वजह से फैटी लीवर की बीमारियाँ बढ़ती है। इन बीमारियों की वजह से लीवर डैमेज भी हो सकता है, कुछ के

आयुर्वेद जीवन जीने का तरीका सिखाता है- आचार्य मनीष

लखनऊ प्रख्यात आयुर्वेद विशेषज्ञ आचार्य मनीष ने 'आयुर्वेद के माध्यम से स्वास्थ्य का अधिकार अभियान ' नामक एक अनूठी पहल को हरी झंडी दी है। आचार्य मनीष 1997 से आयुर्वेद का प्रचार-प्रसार कर रहे हैं और आयुर्वेदिक लेबल 'शुद्धि आयुर्वेद ' के संस्थापक भी हैं, जिसका कॉर्पोरेट कार्यालय चंडीगढ़ के पास जीरकपुर में है। आचार्य मनीष ने 'स्वास्थ्य के अधिकार अभियान ' की आधिकारिक रूप से घोषणा की।आयुर्वेदिक चिकित्सक- डॉ. गीतिका चौधरी और डॉ. सुयश प्रताप सिंह भी उपस्थित रहे। इस अभियान की टैगलाइन है-'आयुर्वेद को है अब घर-घर पहुंचाना ' । आचार्य मनीष ने कहा,'चरक संहिता के अनुसार, आयुर्वेद का उद्देश्य है व्यक्ति के स्वास्थ्य की रक्षा करना और रोगी के विकारों को जड़ से समाप्त करना। आयुर्वेद का अर्थ ही है आयु को जानने का संपूर्ण विज्ञान। आयुर्वेद सिर्फ एक चिकित्सा पद्धति नहीं, बल्कि जीवन जीने का एक तरीका है। आचार्य मनीष का मानना है कि आयुर्वेद हर एक भारतीय के 'स्वास्थ्य के अधिकार ' के उद्देश्य को प्राप्त करने के लिए आवश्यक है। हमने कोविड युग को इस अभियान की शुरुआत

फेफड़ों को अपनी सेहत का केंद्र बनाएं

लखनऊः क्रोनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिज़ीज़ (सीओपीडी) कोई एक बीमारी नहीं, बल्कि एक सामूहिक शब्द है, जो फेफड़ों की क्रोनिक बीमारियों के लिए इस्तेमाल होता है, जिनसे फेफड़ों में हवा के प्रवाह में रुकावट आती है। सीओपीडी के सबसे आम लक्षण सांस फूलना हैं या फिर ‘हवा की जरूरत’ या क्रोनिक खांसी हैं। सीओपीडी केवल ‘धूम्रपान करने वाले की खांसी’ नहीं, बल्कि फेफड़ों की अंडर-डायग्नोज़्ड, जानलेवा बीमारी है, जिसके बढ़ने से मौत भी हो सकती है। 2016 ग्लोबल बर्डन ऑफ डिज़ीज़ अध्ययन के अनुसार, सीओपीडी के मामलों में भारत चीन के बाद दुनिया में दूसरे स्थान पर है, लेकिन जब सीओपीडी से होने वाली मौतों की बात आती है, तो भारत चीन को पछाड़ पहले स्थान पर आ जाता है। शारीरिक संघर्ष, सांस फूलना, आस पास घूमने या आम दैनिक काम करने में परेशानी होने से आत्मसम्मान, गरिमा एवं जान जाने का डर जैसी भावनात्मक समस्याएं हो सकती हैं। जब दैनिक काम करना चुनौतीपूर्ण हो जाता है, तो सीओपीडी मरीज की जिंदगी ऐसी ही हो जाती है। यह संघर्ष केवल सांस लेने का नहीं, बल्कि सीओपीडी के साथ एक सम्मानजनक जिंदगी जीने का भी हो जाता है। सीओपीडी के लक्षण गंभीर होने

सड़क पर रुके वाहनों के बीच जानलेवा भिड़ंत में इजाफे पर चिंता

देश में सड़कों पर खड़े वाहनों से टकराने के कारण 2019 में 5086 लोग मारे गए। इन दुर्घटनाओं के कारण उत्तर प्रदेश में सबसे अधिक 1223 मौतें हुईं और पंजाब में 647 और हरियाणा में 330 लोगों को जान गंवानी पड़ीं। इंटरनेटशनल रोड फेडरेशन आईआरएफ ने देश में सड़क पर रुके हुए वाहनों के बीच जानलेवा भिड़ंत में इजाफे पर जताई चिंता आईआरएफ ने केंद्रीय परिवहन मंत्री नितिन गडकरी को पत्र लिखकर सीएमवीआर नियमों के तहत वाणिज्यिक वाहनों पर रिफ्लेक्टर तथा रिफ्लेक्टिव पट्टियां लगाने का सख्ती से पालन कराए जाने का किया अनुरोध ताकि रात में अधिक साफ दिखें वाहन, दुनिया भर में बेहतर और अधिक सुरक्षित सड़कों के लिए काम कर रही जिनेवा स्थित वैश्विक सड़क सुरक्षा संस्था इंटरनेशनल रोड फेडरेशन ने देश में जगह.जगह रुके हुए वाहनों के कारण सड़क पर बढ़ती जानलेवा भिड़ंतों पर चिंता जताते हुए केंद्रीय भूतल परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री श्री नितिन गडकरी को पत्र लिखा है और उनसे केंद्रीय मोटर यान नियम के नियम 104 को सख्ती से लागू किए जाने का अनुरोध किया है। इस नियम के तहत देश में सभी प्रकार के वाणिज्यिक वाहनों पर रिफ्लेक्टर और रिफ्लेक्टिव पट्टिय

लखनऊ में खुला १० स्क्रीन का मल्टीप्लेक्स आईनॉक्स

लखनऊ। निर्देशक क्रिस्टोफ र नोलन द्वारा निर्देशित वर्ष की बहुचर्चित फिल्म टेनेट 4 दिसंबर को में रिलीज हो रही है। आईमैक्स टेक्नोलॉजी पर शूट की गई इस फिल्म का वास्तविक आनन्द आईमैक्स तकनीक से युक्त थिएटर में उठाया जा सकता है। मल्टीप्लेक्स श्रृंखला आईनॉक्स लीजऱ लि आईनॉक्स लखनऊ में सबसे बड़े मल्टीप्लेक्स आईनॉक्स मेगाप्लेक्स में दर्शकों को सर्वश्रेष्ठ सिनेमा अनुभव का आंनद देने को तैयार है। बड़े आकार स्पेस और कई लुभावनी खासियतों से लैस आईमैक्स स्क्रीन फि ल्म टेनेट देखने वाले लखनऊ के दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर देगी। आईनॉक्स के चीफ मार्केटिंग ऑफि सर सौरभ वर्मा ने बताया आईमैक्स थिएटर अपनी उन्नत स्क्रीन साउंड और प्रोजेक्शन टेक्नोलॉजी संग दर्शकों को ऐसा अनुभव देते हैं मानो वे खुद फिल्म का एक हिस्सा हों और सारा घटनाक्रम अपने सामने देख रहे हों। आईमैक्स थिएटर का भव्य आर्किटेक्चर फि ल्म देखने के रोमांच को दोगुना कर देता है। हम लखनऊ जैसे शानदार शहर में आईमैक्स अनुभव को अपने 10 स्क्रीन में मेगाप्लेक्स पर लाने के लिए उत्साहित हैं। डायरेक्टर नोलन ने कहा यह थियेटर्स खासकर आईमैक्स के लिए फि ल्में बनाने के लिए