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Showing posts from June, 2019

ख़तने जैसी कुप्रथा पर प्रहार है प्रज्ञेश की फिल्म शिनाख्त

ख़तने जैसी कुप्रथा पर प्रहार करती प्रज्ञेश की फिल्म शिनाख्त सुप्रीम कोर्ट में महिला ख़तने के लंबित मामले पर बनी फिल्म शिनाख्त मानवाधिकार पर भारतीय स्थिति का एहसास दिलाती फिल्म शिनाख्त हुज़ैफ़ा  लखनऊ। एक दौर था, जब फिल्मों को ही अच्छा नही माना जाता था। फिल्मों के सार्थक सन्देश ने जहाँ फिल्मों की स्वीकार्यता बढाई, वही फिल्मों के व्यावसायिक युग की शुरुआत भी हुई। इस बदलाव ने अच्छे सन्देश या बौद्धिकता के स्तर पर फिल्मों को मौका दिया। ऐसी ही एक हालिया फिल्म है शिनाख्त जो खतना की समस्या को बेबाकी से उजागर करती है। ऐसे ही विषय पर बनी फिल्म शिनाख्त का पोस्टर लांच गोमती नगर के एक होटल सुरा वे में हुआ। इस अवसर पर फिल्म के निर्देशक प्रज्ञेश सिंह, एक्टर शिशिर शर्मा, लेखक प्रणव विक्रम सिंह और  टीम के अन्य लोग मौजूद रहे। कंपनी सेक्रटरी से फिल्मकार बने लखनऊ के प्रज्ञेश सिंह का ध्यान हमेशा सामाजिक समस्यायों और कुरूतियो पर रहता है। विगत के वर्षो में छोटी सी गुजारिश जैसी 28 मिनट की फिल्म बनाकर चर्चा में रह चुके प्रज्ञेश सिंह ने हाल में खतना जैसी कुप्रथा पर एक फिल्म का निर्माण व् निर्देशन किया है। प्

प्रदेश में लगातार गिर रहा सरकारी शिक्षा का स्तर

हुजै़फा लखनऊ। आज से दो दशक पहले तक अधिकांश लोग सरकारी स्कूलों में ही पढ़ा करते थे। पहले शिक्षक सिर्फ बच्चों का भविष्य बनाने के लिये ही शिक्षक जैसे महत्वपूर्ण पद के लिये आवेदन करते थे। देश के अधिकतर महान लोग सरकारी स्कूलों में टाट-पटटी और पेड़ के नीचे बैठकर शिक्षा ग्रहण करते थे। यहीं से पढ़े कई लोग देश के शीर्ष नेतृत्व पर पहुंचे और यहां तक की विदेशों मेंं भी देश का मान बढ़ाया। प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति बने, नेता और अभिनेता बने, लेखक व इतिहासकार बने यहां तक की हर क्षेत्र में बिना अंग्रेजी भाषा के अपना लोहा मनवाया। मगर आज यहीं सब सफल लोग उन सरकारी स्कूलो मे अपने बच्चों और उनके बच्चों को भेजना पसंद नही करते जहां वह स्वयं शिक्षित हुए वहीं अपने बच्चों को पढ़ाना अपनी शान के खिलाफ समझते है। आखिर वजह क्या हुई की आज सरकारी शिक्षा का स्तर इतना कम हो गया कि स्कूल में छात्रों से ज्यादा शिक्षक है। पहले अमीर और जागीरदार लोग दान-पुण्य के नाम पर स्कूलों का निर्माण करते थे ताकि क्षेत्र के बच्चों को मुफ्त में शिक्षित किया जा सके। किन्तु आज लोग स्कूलों का निर्माण सिर्फ धन कमाने के लिये करते है। आज शिक्ष

न्यायधीश विकास व सिद्धार्थ ने जीता छात्रों का दिल

हुजैफा लखनऊ। को उप्र मानवाधिकार आयोग में मानवाधिकार व आर.टी.आई. पर आयोजित एक गोष्ठी में देशभर से आये कानून के छात्र-छात्राओं ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया। गोष्ठी का आयोजन न्यायाधीश विकास सक्सेना द्वारा किया गया। गोष्ठी के प्रमुख वक्ता स्टार एक्टिवेस्ट सिद्धार्थ नारायण ने बच्चों को आर.टी.आई. की ताकत से अवगत कराया व इस बात पर बल दिया कि भविष्य में वह जो भी वाद-परिवाद अपने कैरियर में दाखिल करें या किसी वाद में जिरा करें उसमें सर्वोत्तम बल वे सूचना पर दें। आर.टी.आई. से प्राप्त सत्यापित सूचना उनके वाद में सटीक रूप से कारगर अवश्य सिद्ध होगी। इसी क्रम में उन्होंने व्यक्तिगत रूप से अपने कुछ चुनिन्दा केस छात्रों के समक्ष केस स्टडी के रूप में रखें- 2015 में हुए आगरा चर्च पर हमला, उत्तराखण्ड पुलिस के हीरो रविन्द्र सिंह व उनके द्वारा शक्तिमान घोड़े को प्यार व उसकी की गई देखरेख एवं शक्तिमान के केस को आज तक लडऩा और ऐसी लड़ाई में हौसला बुलन्द रखना को प्रमुख रूप से उजागर किया। इसके अलावा अम्मी-मम्मी केस जिसमें हाल ही में इन्दिरा नगर से लापता बच्ची माही की खोज और खोज से मिली सफलता और उसमें वरिष्ठ पत्रकार