उत्तर प्रदेश का पहला शस्त्र लाइसेंस ढूंढा पुलिस प्रशासन ने
आरटीआई एक्टीविस्ट सिद्धार्थ का पुश्तैनी रिवाल्वर मिला उत्तर प्रदेश का पहला शस्त्र लाइसेंस ढूंढा पुलिस प्रशासन ने हुजैफा लखनऊ। स्टार आरटीआई एक्टिविस्ट सिद्धार्थ नारायण ने राजधानी स्थित अपने निवास पर पत्रकारों को जानकारी देते हुए बताया कि आरटीआई के माध्यम से उन्होंने अपनी पुश्तैनी सम्पत्ति को वापस पाया लेकिन उनके पैतृक शस्त्र को पुलिस ढूंढ नहीं पा रही थी। 17 दिसम्बर को समाचारपत्रों और मीडिया में खबर चलने के बाद मेरठ का पुलिस प्रशासन जागा और आनन फानन में सिद्धार्थ नारायण और डॉक्टर माग्रेट नारायण को पत्र लिखकर उनका पुश्तैनी असलहा मेरठ के वर्मा गन हाउस में जमा होने की बात बताई। गौरतलब है कि सिद्धार्थ लगभग नौ महीने से लगातार पत्राचार के माध्यम से लाइसेंसी असलहे को खोजने का प्रयास कर रहे थे। पुश्तैनी असलहे का पता चलने पर सिद्धार्थ की माँ डॉक्टर मार्गेट नारायण चितिंत हुई क्योंकि गायब शस्त्र से कोई अनहोनी घटना घटित हो सकती है और इस समय रिवाल्वर की कीमत भी बहुत अधिक है। उन्होंने बताया कि सन 1870 में वह पश्चिमी उत्तर प्रदेश का सबसे पहला शस्त्र लाइसेंस था जिसे उनके पति की मृत्यु के बाद जगदीश