Posts

Showing posts from November, 2019

प्राचीन कोसल राज्य को अवध राज्य के रूप में मान्यता दी जाए : रवीन्द्र प्रताप सिंह

पूर्वी उत्तर प्रदेश को अवध राज्य के रूप में पुनर्गठित करने की मांग उठी प्राचीन कोसल राज्य को अवध राज्य के रूप में मान्यता दी जाए : रवीन्द्र प्रताप सिंह अवध राज्य की स्थापना से रामराज्य का वैभव लौटेगा : महंत कौशलदास महाराज अवध राज्य आंदोलन समिति ने उत्तर प्रदेश पुनर्गठन की मांग उठाई हुजैफा लखनऊ । उत्तर प्रदेश के बंटवारे और पुनर्गठन को लेकर अवध राज्य आंदोलन समिति ने एक वृहद आंदोलन छेड़ दिया है जिसमें संतों का संरक्षण मिलना शुरू हो गया है। उत्तर प्रदेश के समग्र विकास हेतु यह आवश्यक है कि उत्तर प्रदेश का बंटवारा पूर्वी और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के रूप में करके राज्य को पुनर्गठित किया जाए। पूर्वी उत्तर प्रदेश को अवध राज्य और पश्चिमी उत्तर प्रदेश का नामकरण वहां की जनता के मंशा के अनुरूप किया जाये। उक्त मांग अवध राज्य आंदोलन समिति के संयोजक रवींद्र प्रताप सिंह ने राजधानी के यूपी प्रेस क्लब में वार्ता करते हुए की। उन्होंने कहा कि अवध राज्य एक नैसर्गिक राज्य है जिसकी स्थापना मानव सभ्यता के संस्थापक महाराजा मनु के वंशज महाराजा इच्छवाकु ने सतयुग में अयोध्या नगरी और कोसल राज्य बसाकर की थी। कोसल

यहीं देवराज नाहुष ने यक्ष बन पाण्डवों से पूछे थे प्रश्न

कार्तिक पूर्णिमा पर अहिनवार सिद्धपीठ में भक्तों ने लगाई श्रद्धा की डुबकी यहीं देवराज नाहुष ने यक्ष बन पाण्डवों से पूछे थे प्रश्न विश्व वैदिक विद्यालय की स्थापना करना चाहते हैं पीठाधीश्वर लाल बहादुर चंद्रवंशी हुजैफा लखनऊ। मोहनलालगंज स्थित देवराज नाहुष अहिनवार धाम में गंगा स्नान के अवसर पर भारी भीड़ उमड़ी। यहां के सरोवर में ही राजा नाहुष ने पाण्डवों से यक्ष प्रश्न पूछे थे। पौराणिक मान्यता के आधार पर प्रतिवर्ष कार्तिक पूर्णिमा पर यहां बड़ा मेला लगता है और यह भी मान्यता है कि यहां सरोवर में डुबकी लगाने के बाद ही लोगों का गया करना सफल सिद्ध होता है। पीठाधीश्वर लाल बहादुर चंद्रवंशी ने बताया कि यह धाम गौतम ऋषि के काल खण्ड का है। देवराज इंद्र को अपने पुरोहित की हत्या के कारण ब्रह्महत्या का श्राप लग गया था गुरु ब्रहस्पति ने पृथ्वीलोक से राजा नाहुष को इंद्र के सिंहासन पर बैठाया था। बाद में महारानी शुचि से मिलने के लिए नाहुष ने ऋषियों को कहार बना कर पालकी उठवाई थी और तब श्राप के कारण वह अजगर बन कर इसी सरोवर में निवास करते रहे। द्वापर में देवराज नाहुष ने यक्ष के रूप में पाण्डवों से सवाल पूछे थे