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Showing posts from April, 2020

• प्लंबिंग वर्कफोर्स के लिए सभी स्वास्थ्य एवं सुरक्षा दिशानिर्देश

हुज़ैफ़ा    गृह मंत्रालय ने बताया कि ऐसे क्षेत्र जो हॉट-स्पॉट ,  क्लस्टर्स  ,  कंटेनमेंट ज़ोन में नहीं आते उनमें कुछ गतिविधियों की अनुमति दी जा रही है।हालांकि ये छूट कंटेनमेंट ज़ोन में लागू नहीं होगी। इस आदेश की अगले क्रम में सरकार ने अर्थव्यवस्था को बल देने तथा अन्य ज़रूरी सेवाओं के संचालन के लिए कुछ आर्थिक गतिविधियों की अनुमति दी है।ऐसे मुश्किल समय में पाइपलाइन जैसी आवश्यक सेवाओं की आवश्यकता का संज्ञान लेते हुए , कौशल विकास और उद्यमिता मंत्रालय के तत्वावधान में स्किल इंडिया कार्यक्रम से जुड़ी इंडियन प्लंबिंग स्किल काउंसिल ने  900  से अधिक प्लंबर का एक डेटाबेस तैयार किया है, जो देश भर में लॉकडाउन अवधि के दौरान अपनी सेवाएं प्रदान करने के लिए तैयार हैं। इसके अतिरक्त इंडियन प्लंबिंग स्किल काउंसिल ने अपने संबद्ध प्रशिक्षण साझेदारों से अनुरोध किया है कि वे भोजन तथा अन्य ज़रूरी सामानों के वितरण एवं आपूर्ति का संचालन करें। आईपीएससी ने इसके लिए कुल 70 खाद्य वितरण केन्द्रों एवं आइसोलेशन सेंटर्स को चिन्हित किया है।   कड़े स्वास्थ्य एवं सुरक्षा मानदंडों की आवश्यकता को ध्यान में रखते हुए , आईपीएस

पूर्वी उत्तर प्रदेश का दर्द समझिये साहब

उत्तर प्रदेश राज्य के पूर्व में स्थित अवधी और भोजपुरी भाषा - भाषी ज़िले पूर्वी उत्तर प्रदेश कहलाता हैं। यह हिन्दू धर्म के भगवान् श्रीराम ,  जैन धर्म के संस्थापक भगवान् आदिनाथ और बौद्ध धर्म के संस्थापक भगवान् बुद्ध की जन्म स्थली तथा इस्लाम धर्म के प्रथम पैगम्बर हज़रत आदम के पुत्र हज़रत शीस की निर्वाण स्थली है हिन्दू पौराणिक ग्रंथों के अनुसार महाराज मनु के वंशज इच्छवाकु ने सृष्टि का पहला शहर अयोध्या और प्रथम राज्य कोसल की स्थापना किया। यही कोसल कालान्तर में अवध बना और वर्तमान में पूर्वी उत्तर प्रदेश कहलाता है। धर्मों का केंद्र होना ही कोसल राज्य के वैभव को समझने के लिए पर्याप्त   है। क्योंकि जब पेट भरा होता है तब मस्तिष्क का रूझान आध्यात्मिकता की तरफ बढ़ता है। प्रकृति ने अवध को भाभर ,  तराई ,  उपजाऊ मैदान और पठार जैसे भोगौलिक क्षेत्र के साथ सभी छह मौसम दिए। इस छोटे से इलाके में सर्वाधिक नदियाँ बहती हैं। इस राज्य में पानी ,  अनाज ,  फल-फूल ,  वनसम्पदा और खनिज सम्पदा प्रचुर मात्रा में मौजूद थें। बड़ी जनसँख्या कृषि करती थी। उस समय किताबी इंजीनियरिंग की अपेक्षा पेशेगत पारिवारिक इंजीनियर हुआ क

विश्व गुरु बनने का अवसर आया

कोरोना नामक विषाणु से उत्पन्न महामारी के खतरे का तात्कालिक दोहरा दुष्परिणाम देश की प्रवासी जनसंख्या भुगत रही है। यह अंग्रेजों द्वारा विरासत में सौपी गयी एक पक्षयीय औद्योगिक कुनीति का पहला विस्तारित दुष्परिणाम है। ये लोग देश के वो नागरिक हैं जो  देश की  ग्रामीण जनसंख्या से आते हैं। कभी इस बड़ी जनसंख्या के जीवन यापन का आधार कृषि ,  कृषि आधरित व्यवसाय या उस पर आधारित नौकरी हुआ करता था लेकिन आज़ादी के बाद सरकार की अंग्रेज परस्त औद्योगिक नीतियों ने कृषि को पृष्ठभूमि में धकेल दिया। धीरे धीरे सामजिक अर्थव्यवस्था से किसानों की पकड़ ख़तम हो गयी और उस पर वैश्विक बाज़ार का कब्ज़ा हो गया। कालान्तर में कृषि अर्थ व्यवस्था पर निर्भर जनसंख्या बेरोज़गार होकर जीवकोपार्जन की तलाश में पलायित करने लगी। यह औद्योगिककरण की आवश्यक आवश्यकता है क्योंकि कृषि कार्य से पलायित मजदूर उद्योगों के लिए वरदान होतें हैं। ऐसे लोग उद्योग में कम मज़दूरी पर ज्यादा घंटे काम करने के लिए बाध्य हो जातें हैं। इस महामारी ने उद्योग के दम पर स्वयंभू महाशक्ति बन बैठे देशों को मानव जीवन की मूलभूत आवश्यकता से अवगत होने का एक सुनहरा अवसर दिय