यहीं देवराज नाहुष ने यक्ष बन पाण्डवों से पूछे थे प्रश्न


कार्तिक पूर्णिमा पर अहिनवार सिद्धपीठ में भक्तों ने लगाई श्रद्धा की डुबकी

यहीं देवराज नाहुष ने यक्ष बन पाण्डवों से पूछे थे प्रश्न

विश्व वैदिक विद्यालय की स्थापना करना चाहते हैं पीठाधीश्वर लाल बहादुर चंद्रवंशी

हुजैफा
लखनऊ। मोहनलालगंज स्थित देवराज नाहुष अहिनवार धाम में गंगा स्नान के अवसर पर भारी भीड़ उमड़ी। यहां के सरोवर में ही राजा नाहुष ने पाण्डवों से यक्ष प्रश्न पूछे थे। पौराणिक मान्यता के आधार पर प्रतिवर्ष कार्तिक पूर्णिमा पर यहां बड़ा मेला लगता है और यह भी मान्यता है कि यहां सरोवर में डुबकी लगाने के बाद ही लोगों का गया करना सफल सिद्ध होता है। पीठाधीश्वर लाल बहादुर चंद्रवंशी ने बताया कि यह धाम गौतम ऋषि के काल खण्ड का है। देवराज इंद्र को अपने पुरोहित की हत्या के कारण ब्रह्महत्या का श्राप लग गया था गुरु ब्रहस्पति ने पृथ्वीलोक से राजा नाहुष को इंद्र के सिंहासन पर बैठाया था। बाद में महारानी शुचि से मिलने के लिए नाहुष ने ऋषियों को कहार बना कर पालकी उठवाई थी और तब श्राप के कारण वह अजगर बन कर इसी सरोवर में निवास करते रहे। द्वापर में देवराज नाहुष ने यक्ष के रूप में पाण्डवों से सवाल पूछे थे तब जा कर उन्हें मुक्ति मिली थी। लाल बहादुर ने बताया कि 2017 में पीठाधीश्वर बनने के बाद सरोवर के घाट पर सीढियों का निर्माण करवाया और महिलाओं के स्नान के लिए बड़ी बारादरी भी बनवाई। आगे चल वैदिक विद्यालय की स्थापना, अस्पताल आदि का निर्माण करने की योजना है। देवराज नाहुष अहिनवार धाम ट्रस्ट की स्थापना की गई है जिसकी देखरेख में मंदिर तथा सिंहद्वार आदि निर्मित किया जा रहा है।
पीठाधीश्वर ने कहा कि कार्तिक पूर्णिमा पर यहां बहुत बड़ा मेला लगता है जिसमें लाखों श्रद्धालु आते हैं और प्रत्येक सोमवार तथा पूर्णिमा को भी भक्त यहां स्नान के लिए आते रहते हैं।

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