हर चरण के वोटिंग प्रतिशत में बढ़ोत्तरी हुई

हुजैफा
लखनऊ।  2019 का लोकसभा चुनाव हर चुनावों से अलग दिख रहा है। हर चरण में  वोटिंग प्रतिशत में बढ़ोत्तरी विपक्षी दलों के लिए फायदेमंद साबित होती जा रही है। इसके अलग ही मायने है, क्योंकि जब वोटिंग प्रतिशत में बड़ा बदलाव होता है तब कुछ इस तरह का सियासी समीकरण बनता है मतलब सत्ता पक्ष के लिए या स्थिति गंभीर।  पहले पांच चरण के आंकड़ों का अगर विश्लेषण करें तो दूसरे चरण को छोड़ दे तो हर चरण में वोटिंग प्रतिशत में बढ़ोत्तरी हुई है जिससे सत्ता पक्ष में बेचैनी दिख रही है।  इसके पीछे प्रमुख वजह पहली बार वोटिंग कर रहे युवा मतदाताओं की संख्या में अभूतपूर्व वृद्वि है। जो बयान और बहकावे की राजनीति से हटकर विकास को प्राथमिकता देते है। रणनीतिकारों का मानना है कि मतदाता का मौन संकेत कुछ और ही कह रहा है। पहले चरण में 91 सीटों पर वोटिंग हुई।  69.50 प्रतिशत हुई जो कि 2014 में 68.77 प्रतिशत हुई। इसमें 0.73 फीसदी वोटों की बढ़ोत्तरी हुई है। वहीं दूसरे चरण में 95 सीटों पर मतदान हुआ जिसमें 2014 में 69.62 प्रतिशत वोट पड़े थे जबकि 2019 में  69.44 फीसदी मत बढ़े जिसमें मामूली कमी आई है।  यह कमी जम्मू कश्मीर में हुए कम मतदान के कारण आयी है। वहीं तीसरे चरण में 117 सीटों पर मतदान हुआ जिसमें 68.40 मतदाताओं ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया है। 2014 में यह आंकड़ा  67.15 फीसद था। चौथे चरण में 72 सीटों पर वोटिंग हुई जिसमें 65.51 प्रतिशत मतदान हुआ जबकि 2014 में इन सीटों पर 63.05 प्रतिशत मतदान हुआ था। पांचवे चरण में 51 सीटों पर मतदान हुआ जिसमें 2019 में 64.21 फीसदी वोट पड़े, वहीं 2014 में इन सीटों पर 61.53 मतदान हुआ था। ये आंकड़े इस बात की ओर इशारा कर रहे हैं कि मतदाताओं का झुकाव मौजूदा सरकार के प्रति कम हुआ है, जिससे इसमें बढ़ोत्तरी हुई है। क्योंकि पिछले चुनावों का अगर विश्लेषण करें तो विपक्ष कोई बहुत बड़ी ताकत बनकर नहीं खड़ा हुआ था। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि इस बार विपक्ष का वह टकराव इस बार समझौतों और गठबंधन के रुप में फायदेमंद साबित हो रहा है। राजनीतिक पंडित अगले दो चरणों को इसी नजरिए से विपक्ष के लिए महत्वपूर्ण मान रहे हैं। इस बार भाजपा को 14 जितनी सीटें नहीं मिलती दिख रही है। उसे विपक्ष की एकता ने कई बार अपनी रणनीति और प्रत्याशी बदलने पर मजबूर किया है। अन्य चरणों की तरह इस बार भी पार्टियों ने बाहुबल और धनबल को प्राथमिकता दी है।

Comments

Popular posts from this blog

फिल्म फेयर एंड फेमिना भोजपुरी आइकॉन्स रंगारंग कार्यक्रम

अखिलेश ने मांगा लखनऊ के विकास के नाम वोट

फीनिक्स पलासियो में 'एट' स्वाद के शौकीनों का नया रोचक डाइनिंग एक्सपीरियंस