अपोलोमेडिक्स अस्पताल में बच्चे के सिर में लगाई गई स्वयं बढ़ने वाली कृत्रिम हड्डी, यूपी की पहली ऐसी सफल जटिल सर्जरी

लखनऊ, 9 फरवरी 2022 : राजधानी का अपोलोमेडिक्स सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल अल्ट्रामॉडर्न मेडिकल टेक्नोलॉजी के जरिये मरीजों को नया जीवन देने के लिए प्रसिद्धि पा चुका है। इसी सिलिसले को आगे बढाते हुए अपोलोमेडिक्स हॉस्पिटल में ढाई वर्षीय बच्चे के सिर की एक जटिल सर्जरी कर कृत्रिम हड्डी ट्रांसप्लांट की गई। यह पोरस पॉलीइथीलीन इम्प्लांट परंपरागत टाइटेनियम इम्प्लांट के मुकाबले अधिक लचीला है। इसके लगने से बच्चे की उम्र बढ़ने के साथ सिर के आकार में कोई बदलाव नही होगा क्योंकि इम्प्लांट भी सिर की बदलते आकार के साथ खुद को एडजस्ट करता जाएगा। इस सर्जरी की सफलता से उत्साहित अपोलोमेडिक्स सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल के सीईओ और एमडी डॉ मयंक सोमानी ने कहा, अपोलोमेडिक्स में हमारी टीम अल्ट्रा-मॉडर्न मेडिकल टेक्नोलॉजी का उपयोग कर मरीजों का जीवन सडल और सुगम बनाने का उद्देश्य रखते हैं। इस सर्जरी में सबसे बड़ी चुनौती बच्चे की कम उम्र थी। हमारी न्यूरो सर्जरी की टीम ने सफलतापूर्वक इस सर्जरी को अंजाम दिया, मैं उन्हें बधाई देता हूं और शुभकामनाएं देता हूं कि वे इसी तरह मरीजों और उनके परिजनों की उम्मीदों पर सदैव खरे उतरते रहें। इस सर्जरी को सफलतापूर्वक अंजाम देने वाले अपोलोमेडिक्स अस्पताल के सीनियर कंसलटेंट न्यूरोसर्जरी, डॉ सुनील कुमार सिंह ने बताया, "मरीज जब एक वर्ष की उम्र का था तब उसके सिर पर आई चोट से सिर की हड्डी को नुकसान पहुंचा था और बच्चा काफी दिनों तक वेंटिलेटर पर रहा। चूंकि सिर की हड्डी बुरी तरह से क्षतिग्रस्त हो चुकी थी उस समय उसको सही करना नामुमकिन सा था। हाल ही में बच्चे के पेरेंट्स अपोलोमेडिक्स आए और हमारी टीम से मिले। मेरे साथ डॉ सुनील सिंह और डॉ प्रार्थना सक्सेना ने बच्चे की मेडिकल हिस्ट्री ली। ऐसे मामलों में अमूमन टाइटेनियम का स्कल इम्प्लांट का प्रयोग होता है। लेकिन आगे चलकर बच्चे की उम्र के साथ शारीरिक बदलाव आते और टाइटेनियम इम्प्लांट का आकार न बढ़ने से बच्चे के सिर में गड्ढा होने का खतरा बना रहता। यह बच्चे के अंदर अन्य परेशानियों के साथ कहीं न कहीं हीन-भावना का कारण बनता है। डॉ सुनील कुमार सिंह ने बताया, "हमारी टीम ने रिसर्च कर इसका उपाय निकाला और मेडपोर इम्प्लांट का प्रयोग किया जो पोरस पॉलीइथीलीन इम्प्लांट है और उम्र के साथ यह बढ़ते स्कल के आकार के अनुरूप अपने को एडजस्ट कर लेता है। यह इम्प्लांट आपरेशन थिएटर में ही गर्म पानी में डालकर उसी आकार में काटा जाता है, जिस आकार में उसे लगाया जाना होता है। यही प्रक्रिया अपनाई गई और सर्जरी को सफलतापूर्वक अंजाम दिया गया। सर्जरी के पश्चात बच्चा निरंतर फॉलोअप के लिए आ रहा है और स्वस्थ है। डॉ अजय कुमार, डायरेक्टर मेडिकल सर्विसेज, अपोलोमेडिक्स सुपरस्पेशलिटी हॉस्पिटल ने बताया, "अपोलोमेडिक्स सुपरस्पेशलिटी हॉस्पिटल की स्थापना ही इस उद्देश्य के साथ हुई थी कि स्थानीय स्तर पर हम आम जनता को वर्ल्ड क्लास मेडिकल ट्रीटमेंट मुहैया कराएंगे ताकि उन्हें इलाज के लिए मेट्रो शहरों की लंबी दूरी न तय करनी पड़े और साथ ही उन्हें अन्य लॉजिस्टिक्स की परेशानी कम से कम उठानी पड़े। हमे खुशी है कि हर ऐसे केस के साथ आम जनता की उम्मीदों पर खरे उतरते आए हैं और विश्वास दिलाते हैं कि हम अपने उद्देश्य के लिए प्रतिबद्ध हैं। ----------------------------------------------- Apollomedics Hospital Successful surgery where a Child Damaged Skull Born do suneel kumar do ajay kumar

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