भारत में डिजिटल क्रांति आने से रोजगार परकता में लैंगिक अंतर सुधरा: इंडिया स्किल रिपोर्ट

लखनऊ व्हीबॉक्स द्वारा टैग्ड, सीआईआई, एआईसीटीइ, एआईयू और यूएनडीपी के साथ साझेदारी करते हुए पेश की गई इंडिया स्किल रिपोर्ट 2021 भारत में कोरोना काल आने के बाद कौशल की मांग और आपूर्ति पर आधारित रिपोर्ट है। इसके अनुसार, दिल्ली-एनसीआर, ओडिशा और उत्तर प्रदेश में देश में सबसे ज्यादा रोजगार परक कौशल है। व्हीबॉक्स के संस्थापक और मुख्य कार्यकारी अधिकारी निर्मल सिंह ने कहा, श्श्आखिरकार भारत में डिजिटल क्रांति के साथ ही रोजगार परकता में लैंगिक अंतर में सुधार हो रहा है। हमने जो सबसे बड़ा संरचनात्मक बदलाव देखा है वह ये है कि महिलाओं की सहभागिता पिछले पांच सालों से ज्यादा है। कुल कर्मियों में महिलाओं का हिस्सा 36 प्रतिशत व पुरुषों का हिस्सा 64 प्रतिशत है। महिलाओं की सबसे ज्यादा हिस्सेदारी बैंकिंग और वित्तीय सेवा उद्योग में है। इस क्षेत्र में रोजगार परक प्रतिभाओं में महिलाएं 46 प्रतिशत तक हैं। यह ट्रेंड भविष्य के लिए, खासकर वर्क फ्रॉम होम की संभावनाओं को देखते हुए सबसे सकारात्मक ट्रेंड में से एक है। द व्हीबॉक्स नेशनल इंप्लॉयबिलिटी टेस्ट सर्वे में भारत के युवाओं की रोजगार परकता पर प्रकाश डाला गया है। सर्वे के दौरान पाए गए कुछ प्रमुख डाइमेंशंस बिजनेस कम्युनिकेशन , क्रिटिकल थिंकिंग और न्यूमेरिकल रीजनिंग थे। यह रिपोर्ट वर्तमान स्थिति के भविष्य का चित्रण करने का एक गंभीर प्रयास है, जिससे आगे की नीतियां इस पर आधारित हो सकती हैं और वे ज्यादा प्रभावशाली साबित हो सकती हैं।शोध में खुलासा हुआ है कि 45.9 प्रतिशत युवाओं में उच्च रोजगार परक कौशल माना गया। शोध में यह भी पता चला कि सबसे ज्यादा उच्च रोजगार परक कौशल वाला शहर मुंबई है, जहां परीक्षण करने पर 70 प्रतिशत से ज्यादा प्रतिभागियों का 60 से ज्यादा स्कोर रहा। दूसरे स्थान पर हैदराबाद है। द इंडिया स्किल्स रिपोर्ट देशभर के अंतिम वर्ष के उन उम्मीदवारों के मूल्यांकन का संयोजन है, जिन्होंने व्हीबॉक्स नेशनल इंप्लॉयबिलिटी टेस्ट में भाग लिया था और इंडिया हायरिंग इंटेंट सर्वे में भाग लेने वाले 15 उद्योगों के 150 से ज्यादा कारपोरेट्स ने यह भी पाया कि महाराष्ट्र, तमिलनाडु, उत्तर प्रदेश और कर्नाटक के उम्मीदवारों सबसे ज्यादा रोजगार परक कौशल के साथ-साथ सबसे ज्यादा उत्पादकता है, वहीं हैदराबाद, बेंगलुरू और पुणे शहरों में सबसे ज्यादा रोजगार परक कौशल पाया गया। हालिया डव्लूएनईटी लगातार आठवें साल आया था, जिसमें व्हीबॉक्स ने देशव्यापी रोजगार परकता का परदृश्य हासिल किया, जिसके साथ यह भारत में कौशल की मांग और आपूर्ति को रिकॉर्ड करने वाली और उसका विश्लेषण करने वाली परीक्षा बन गई। भारत में सबसे ज्यादा भर्तियां बैंकिंग और वित्तीय क्षेत्रों के साथ-साथ आईटी और आईटीईएस वाले उद्योगों में होंगी। इनके बाद इनसे कुछ कम भर्तियां स्वास्थ्य क्षेत्र, ऑटोमोटिव, रिटेल सेगमेंट, लॉजिस्टिक्स और कोर सेक्टर व ऊर्जा क्षेत्र में होंगी। जहां भर्तियों और विस्तार के लिए सबसे महत्वपूर्ण आधार डिजिटल कनेक्टिविटी और इंटरनेट आधारित व्यापार बने रहेंगे वहीं दिल्ली-एनसीआर, कर्नाटक और महाराष्ट्र जैसे राज्यों में सबसे ज्यादा रोजगार बाजार होंगे। इसके साथ-साथ कंपनियों में 10 प्रतिशत की तुलना में 19 प्रतिशत भर्तियां रोजगार परिदृश्य में इस साल सकारात्मक बदलाव का स्पष्ट संकेत देती हैं। कोरोना महामारी वाले में हुए रणनीतिक बदलाव बताते हुए भारत में कोरोना काल आने के बाद कौशल की मांग और आपूर्ति बताने वाली रिपोर्ट में पढ़ाई, जनसांख्यिकीय, लैंगिक सहभागिता, वरीयता, वेतन संबंधी उम्मीदों और संसाधनों पर पकड़ के क्षेत्रों जैसे विभिन्न सेक्टरों से निकाले गए युवा रोजगार परकता का अग्रिम विस्तृत विश्लेषण करने की कोशिश की गई है। संयोग से, रिपोर्ट में यह भी बताया गया कि साल 2021 में सबसे ज्यादा बी.टैक और एमबीए कोर्सों की मांग रहेगी। इनका रोजगार परकता स्कोर 47 प्रतिशत रहेगा। इनके बाद बी.कॉम, बीए. बी.फार्मा के उम्मीदवारों को उच्च रोजगार परक संसाधन माना जाएगा। रिपोर्ट में खुलासा हुआ कि प्रतिभा का व्यावहारिक उपयोग करना है तो क्लाउड कम्प्यूटिंग एंड डाटा साइंस के आगमन के साथ समग्र समाधान आए हैं। इंटरनेट सेवाएं काम करने के समकालीन तरीकों का पुनर्निर्माण कर रही हैं, जिससे एफएमसीजी निर्माताओं से लेकर सप्लाई चेन लॉजिस्टिक्स और सुदूर में एसेट प्रबंधन तक क्रियांवयन के सभी पहलुओं को नया रूप तैयार हो रहा है। काम के तरीकों में बदलाव की मांग के साथ तैयार रहने के लिए अपेक्षित कौशल की मांग में भी बदलाव हुआ है। शोध से मिले आंकड़ों के अनुसार, युवाओं में रोजगार परकता 45.9 प्रतिशत है, जिसमें सर्वाेच्च रोजगार परकता संसाधन हैं। यह पिछली साल से बहुत कम है। कौशल में यह अंतर दिखने का कारण यह है कि युवा रोजगार परकता पिछले साल के 46.2 प्रतिशत से घटकर इस साल 45.9 प्रतिशत रह गई है। सिंह ने कहा दिलचस्प है कि कोरोना महामारी के दौरान कौशल में उभरे अंतर के कारण कम्प्यूटर कोर्सों, भाषा की पढ़ाई और ऑनलाइन कौशल विकास कार्यक्रमों में उछाल आया है। भारत में तकनीक का रोजगार परकता के साथ सीधा सह-संबंध स्थापित करना आगे का मार्ग प्रशस्त करने के लिए काफी महत्वपूर्ण है। यहां तक कि भारत में रोजगार परकता का परिदृश्य तकनीक के साथ बेहतर हो रहा है, जिससे कार्यस्थल पहले से ज्यादा सहयोगात्मक तथा क्रियांवयन ज्यादा कुशल होता है। कोरोना महामारी ने साबित कर दिया है कि तकनीक हमारी दैनिक जीवनशैली पर कितना असर डालती है। द व्हीबॉक्स नेशनल इंप्लॉयबिलिटी टेस्ट के 2021 के सर्वे विश्लेषण के अनुसार, ट्रेवल एंड टूरिज्म से लेकर ऊर्जा व निर्माण क्षेत्र तक के उद्योगों में सॉफ्टवेयर और हार्डवेयर के ज्ञान की मांग बढ़ रही है। इससे छात्रों की रोजगार परकता में लगातार दूसरे साल गिरावट में वृद्धि हुई है। इससे पहले 2016-2018 में रोजगार परकता में उल्लेखनीय उछाल आया था। गौर करने वाली बात है कि रोजगार परकता में सबसे ज्यादा 40 प्रतिशत 18-21 के आयु वर्ग में पाया गया, जो भारत के रोजगार परकता परिदृश्य के मूल में संरचनात्मक बदलाव का संकेत दे रहा है। साल 2019-2021 से रोजगार परकता रेटिंग दो अंक गिरकर आज 45.9 प्रतिशत पर रह गई है।

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