सियासत इसे कहीं उज्जड़ प्रदेश न बना दे 

हुजै़फा

लखनऊ। प्रदेश में बढ़ती आपराधिक घटनाएं, बेरोजगारी, गिरता शिक्षा का स्तर कही हमारे उत्तर प्रदेश को उत्तम प्रदेश की जगह उज्जड प्रदेश न बना दे। किसी भी देश का प्रजातंत्र सरकारी मशीनरी, न्याय-व्यवस्था और कानून-व्यवस्था पर निर्भर करता है। इन सभी के तालमेल से लोकतंत्र आज भी देश मे जिंदा है। बेहतर कानून व्यवस्था, सुरक्षा और सम्मान की रक्षा के लिए प्रजातंत्र का मजबूत होना अति आवश्यक है। विकास और जनकल्याण का जो खाका सरकारें खींचती हैं, उनकी सफलता का पूरा दारोमदार सरकारी मशीनरी पर ही होता है। यह बात सभी सरकारों के लिये होती है। उत्तर प्रदेश को 'उत्तम प्रदेश' बनाने की सोच से विकास का जो खाका सरकार ने तैयार किया था, उसकी सफलता भी पूरी तरह सरकारी मशीनरी के काम-काज पर ही निर्भर है। सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी ने प्रदेश की कमान एक साफ छवि के व्यक्ति को यह सोचकर सौपी थी कि प्रदेश में बेहतर काम और कानून व्यवस्था स्थापित होगी तो मिसाल बनेगी और 2019 के चुनाव की वैतरणी पार कर केन्द्र की सत्ता पर बने रहने की भाजपा की राह आसान हो सकेगी। क्योंकि उत्तर प्रदेश की राजनीति ही केन्द्र की राजनीति तय करती है। लेकिन प्रदेश की कानून व्यवस्था की वजह से भाजपा यहां पर वह चमतकार नहीं कर पायी जो 2014 के लोकसभा चुनावों में दिखाया था। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ प्रदेश की कानून-व्यवस्था को पटरी लाने और सुशासन देने का वादा शपथ ग्रहण समारोह, पहली प्रेस कांफ्रेंस और उसके बाद से हर सभा और मंच से करते आये हैं। मुख्यमंत्री ने हर बार कहा जनता की सुरक्षा और सम्मान से कोर्ई समझौता नहीं होने दिया जायेगा। लेकिन हुआ इसका बिल्कुल उलट। उनके दावों की सफलता सरकारी मशीनरी के मकडज़ाल में पूरी तरह उलझ गयी जिसका खमियाजा भाजपा को यहां से कम सीटों पर संतुष्टि से करना पड़ रहा है। साफ नीयत और स्पष्ट दिशा वाले आदेश भी फाइलों में ढेर कर दिये जा रहे हैं। यह कुछ हद तक सरकारी मिशनरी की विफलता और तालमेल की कमी की ओर इशारा करती है। प्रदेश की कानून-व्यवस्था को पूरी तरह पटरी पर लाने के लिए बहुत काम करना है। इसे कैसे और बेहतर बनाकर जनता की उम्मीदों पर खरा उतरा जा सकता है, इस सवाल पर समाज के कुछ जिम्मेदार लोगों से हुजैफा ने बातचीत की तो लोगों ने उन्हें जो सुझाव दिये वे इस प्रकार हैं-  
हाईकोर्ट के वकील उदयभान ने कहा शासन और प्रशासन में तालमेल होना बहुत जरूरी होता है। यदि किसी कारणवश यह तालमेल नहीं हो पाता तो शासन कितनी भी योजनाएं बना ले उन्हें धरातल पर लाना मुश्किल होता है। उन्होंने मुकदमे अधिक होने और लम्बे समय तक निस्तारण न होने की बात करते हुए कहा  न्यायालयों में जजों की कमी होने और वकीलों द्वारा बार-बार तारीख लेने, तो कभी गवाहों के मुकरने आदि से न्यायालयों का बोझ बढऩे का साथ अपराधियों में न्यायालय का वह खौफ  नहीं रहता, जो होना चाहिए। 
पूर्व आईजी दारापुरी ने कहा प्रजातंत्र की सफलता के लिये सरकारी मिशनरी से तालमेल होना पहली शर्त है। उन्होने कहा सरकार का कानून व्यवस्था को पटरी पर लाने का तरीका गलत है। इससे अपराध पर काबू नहीं होता। सरकार के निर्देश पर हो रहे एनकाउण्टरों में से बहुत से एनकाउण्टर जांच में फ र्जी साबित होंगे। एनकाउण्टर का तरीका गलत है, ऐसा करके पुलिस को अपराधी पुलिस्य बनाया जा रहा है। उन्होंने कहा पुलिस को क्षेत्रों में गश्त करनी चाहिए। अगर अपराध हो भी जाये तो अपराधी को सजा दिलाने का काम करना चाहिए। वरिष्ठï अधिवक्ता हाईकोर्ट अखिलेश त्रिपाठी ने कहा बिना कानून-व्यवस्था को दुरुस्त किये बिना शान्ति स्थापना की बात करना भी बेमानी है, और शान्ति के बिना विकास संभव नहीं है। योगीजी की जो छवि है, उससे प्रदेश के अल्पसंख्यक पूरी तरह हतोत्साहित हैं। आम आदमी खुद को सुरक्षित महसूस नहीं कर रहा है। प्रदेश में सुशासन के लिए कानून-व्यवस्था दुरुस्त करनी होगी। अधिकारियों को दबाव रहित होकर काम करने की छूट होने के साथ उनकी पिछली छवि के हिसाब से जिम्मेदारी दी जानी चाहिए। कानून सबके लिये बराबर होना चाहिए, उसमें सत्ताधारी पार्टी के समर्थित संगठनों और उनके कार्यकर्ताओं का दखल नहीं होना चाहिए। अब तक देखा गया है कि कानून ऐसे लोगों को प्रति लचर रवैया अपनाता रहा है। व्यापारी कान्ति प्रसाद ने कहा प्रदेश को विकास देने और बेरोजगारी घटाने के लिए जो इन्वेस्टर्स समिट की गयी, उसके प्रचार-प्रसार पर जो अथाह पैसा लगाया गया, उससे प्रदेश की कोई एक समस्या हल की जा सकती थी। उन्होने बेरोजगारी कम करने और प्रदेश का विकास करने के लिए सुझाव देते हुए कहा कि रेलवे लाइनों के किनारे काली पड़ी जमीनों का इस्तेमाल करके प्रदेश की खाद्यान्न और बेरोजगारी की समस्या को दूर किया जा सकता है। उन्होंने कहा जब लोगोंं के पास रोजगार होगा, तो शान्ति और विकास अपने आप स्थापित हो जायेगा। 
उत्तर प्रदेश वैसे तो देश का सबसे बड़ा आबादी वाला प्रान्त है, लेकिन शिक्षा, कानून व्यवस्था, चिकित्सा, स्वास्थ्य और बेराजगारी में अन्य राज्यों से पिछड़ा है। प्रदेश का इस्तेमाल सिर्फ सियासत के लिये करने से यहां का वह विकास न हो पाया जो देश के अन्य प्रदेशों को हुआ है। यहां की प्रतिभाओं का पलायन दूसरे प्रदेशों और देशों में हो रहा यानि यहां पर प्रतिभावान युवाओं के लिये रोजगार के बेहतर अवसर न होने के कारण यह स्थिति है। उपजाऊ खेती होने के बावजूद किसान को उसकी उपज का उचित मूल्य न मिलना और योजनाओं का धरातल पर न होना आदि कारणों से कृषि से लोगों का मोह भंग हो रहा जो अच्छा संकेत नहीं है। आज भी बेहतर इलाज न मिल पाने से हजारों लोग समय से पहले मौत के मुहं में हर माह समा जाते है। इन हकीकतों से मुहं नहीं मोड़ा जा सकता है। प्रदेश को उत्तम प्रदेश बनाने के सपने को साकार करने के लिये अभी प्रदेश में बहुत काम करना होता, नहीं तो सियासत इसे उत्तम प्रदेश बनाते-बनाते उज्जड़ प्रदेश न बना दें। 

Comments

  1. irpya apna photo bhejen lohstambh magazine mai ye lekh le rahe hai or iske editor kanti prashad hai
    aap unse sampark karen

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