हमें रावण के साथ सामाजिक बुराइयों को भी मारना होगा: महंत विशाल गौड़

समाज में वैसे तो रावण के अलावा भी बहुत बुराईयां फैली हुई है, हम सभी उन बुराईयों से कहीं न कहीं परेशान ही रहते है। हम सभी को इस दशहरे में उन सभी बुराइयों को भी रावण के साथ मारने का प्रण लेना चाहिए। दस आधुनिक रावणीय वृतियों पर विजय पाना ही असली विजयादशमी है।
जब हम सभी इनसे लड़ेगे और समाधान पायेगे तभी सच्चे अर्थों में रामराज्य का निर्माण होगा। हिन्दु धार्मिक और पौराणिक मान्यताओं के अनुसार दशहरा के दिन भगवान श्री राम ने रावण का वध किया था और मां दुर्गा ने महिषासुर का संघार किया था। ऐसा मान्यता है कि नवरात्रि के नौ दिनों तक मां दुर्गा ने महिषासुर राक्षस से युद्ध किया और दशमी के दिन उसे पराजित किया। यह पर्व हमें सदैव धर्म, सत्य और न्याय के मार्ग पर चलाने के लिए प्रेरित करता है। दशहरा हिन्दुओं का प्रमुख पर्व है। अश्विन मास के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को इसका आयोजन किया जाता है। इसे असत्य पर सत्य की विजय के रूप में मनाया जाता है। दशहरा का नाम विजयादशमी है, संस्कृत में इसे विजयादशमी कहा जाता है, जिसका अर्थ है विजय का दसवां दिन, यह नाम ही इस त्योहार का मूल संदेश बताता है, अच्छाई की बुराई पर जीत। हिंदू पंचांग के अनुसार इस वर्ष 1 अक्टूबर बुधवार को शाम 7 बजकर 2 मिनट से दशमी तिथि का आरंभ हो गया है। 2 अक्टूबर गुरुवार को शाम 7 बजकर 2 मिनट पर दशमी तिथि आरंभ होगी। उसी के बाद रावण दहन किया जायेगा। हम कहीं भी चैन से बैठ नहीं सकते, बच्चे और बेटियां समाज में सुरक्षित नहीं है, कहीं भी जाये घर में या परिवार पर ध्यान लगा रहता है, हम रावण दहन भी करने जाये तब भी हमारा ध्यान बाहर खड़ी गाड़ी पर रहता है कि कोई चोरी न कर ले, फिर प्रतिवर्ष रावण दहन का उददेश्य पूर्ण नहीं हो पा रहा है। भारत विकासशील देश होने के साथ सभी क्षेत्रों में विकास तो कर रहा है लेकिन बहुत से लोग आज भी गरीबी में जीवनयापन कर रहे है, उनको समाज की मुख्य धारा से जोड़ना होगा। शिक्षा सभी को ग्रहण करना चाहिए, शिक्षा से ही विकास और रोजगार के मार्ग प्रश्स्त्र होते है, आप कुछ भी रोजगार करों लेकिन शिक्षा अवश्य ग्र्रहण करनी चाहिए। समाज में शोषण पर रोक लगनी चाहिए। जो हर क्षेत्र में असमानता है उसे मिटाना ही असली रावण दहन है। अपने स्वास्थ्य की सभी लोगों को जीवन में प्राथमिकता देनी चाहिए। जब आप स्वस्थ्य रहेंगे तभी अपना और समाज का विकास कर पायेगे। कट्टरता दिल और दिमाग को खराब कर देती है। जब मनुष्य अपनी सोच को सत्य मानकर दूसरों पर थोपने लगे, तब घृणा और संघर्ष पनपते हैं। ये रावणीय सोच समाज की एकता को तोड़ती है और आज यह समाज में बड़ी तादाद में व्याप्त है। सहनशीलता और संवाद धर्म का सार प्रेम है, न कि वैमनस्य। जब हम विविधता को शक्ति मानेंगे और भिन्नताओं में सौंदर्य देखेंगे, तभी कट्टरता का अंत होगा। खुले दिल और उदार दृष्टि से ही समाज आगे बढ़ सकता है। हिंसा से भी बचना चाहिए, हिंसा सिर्फ हमें ही नही समाज और परिवार को भी नुकसान पहुंचाती है। हिंसा विकास की गति अवरोध कर हमे पतन की ओर ले जाती है। वातावरण को श्ुद्घ रखने के लिये पेड़ पौधो का रोपण करते हुए जो प्लास्टिक हमारे पर्यावरण के लिये हानिकारक है उस पर पूरी तरह प्रतिबंध का प्रण लेना होगा, तभी असली मायनों में हम रावण पर जीत हासिल कर सकते है। इन्ही सभी बुराईयों को भी आज रावण के साथ दहन करने का प्रण लेना होगा, तभी रामराज्य स्थापित हो पायेगा। Mahant Sri Vishal Gard Chawk Kotwali Mander Lucknow

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