नवरात्रि व्रत का वैज्ञानिक महत्व : हुजै़फ़ा

वैसे तो हर धर्म में उपवास, व्रत, रोज़ा या फास्ट का अपना धार्मिक महत्व होता है। सभी इसे अपने धर्म के अनुसार करते भी हैं। लेकिन सबका व्रत रखने का अपना दृष्टिकोण होता है, कोई अपने गुनाहों से माफी के लिए तो कोई अपनी मुराद पूरी करने के लिए, कोई अपने भगवान को खुश करने के लिए व्रत रखता है। हिन्दू धर्म में वट सावित्री, करवाचौथ और हरितालिका जीत व्रत पति की लंबी आयु के लिये पत्नियों द्वारा रखा जाता हे। गणेष चतुर्थी में सकट, जिवितपुत्रिका और छट बेटे की लंबी आयु और सुख समृद्धि के लिए रखा जाते हैं।
2025 में पड़ने वाला शारदीय नवरात्र इस बार पूरे 10 दिन का होगा जिसकी शुरुआत 22 सितंबर से होगी। वैसे तो व्रत का धार्मिक महत्व होने के साथ इसका वैज्ञानिक महत्व भी है जो हमारे स्वास्थ्य और प्रकृति से जुड़ा हुआ है। यानि व्रत के माध्यम से हम अपने शरीर और आत्मा को शुद्ध करते हैं। जैसे किसी भी मशीन को सही करने के लिए विश्राम दिया जाता है, उसकी साफ सफाई की जाती है ठीक उसी प्रकार हमारे अंदरुनी शरीर को भी साफ सफाई और विश्राम की आवश्यकता होती है, उसके लिए हमारे धर्म में व्रत का प्रवधान किया गया है। जब हम व्रत को पूरे अनुष्ठान के साथ रखते हैं तो शरीर में एकत्र विषैले पदार्थ बाहर निकल जाते है। जो यदि न निकले तो किसी बीमारी का रुप भी ले सकते है। व्रत से हमारा शरीर शुद्घ होने के साथ उसमे पनप रहे कारण भी समाप्त हो जाते है। साल में दो बार पड़ने वाले नवरात्रों में मासाहार पूरी तरह वर्जित होने के कारण मांसाहार से होने वाले रोगों पर भी लगाम लगायी जाती है। हर वह काम व खाद्य पदार्थ जो शरीर के लिये हानिकारक होने है उनको खाने पर रोक होने से शरीर की रोगप्रतिरोधक क्षमता का विकास होता है। नवरात्रि में फल-मेवे, दूध, दही, पनीर, घी का सेवन कर सकते है। नमक जो बीपी और शुगर के जन्म देता है को खाने पर रोक होती है इसकी जगह सेंधा नमक खा सकते है। मसालों में काली मिर्च, जीरा, हरी इलायची अदरक का उपयोग कर सकते है। इसके अलावा साबूदाना, मूंगफली, काजू बादाम और किशमिश आदि का उपयोग कर सकते है। इससे शरीर को कम वसा का पौष्टिïक खाना मिलने से शरीर में नयी उर्जा का संचार होता है। शारदीय नवरात्रि का पर्व हर साल देशभर में मनाया जाता है। इस बार 22 सितंबर से शारदीय नवरात्रि आरंभ हो रहे हैं। इन 9 दिनों में मां दुर्गा के अलग-अलग स्वरुपों की पूजा की जाती है। इन 9 दिनों का विशेष महत्व इसलिए भी है क्योंकि जो भक्त इन दिनों में माता रानी की सच्ची उपासना करता है मां दुर्गा उसकी सारी मनोकामनाएं पूरी करती हैं। शारदीय नवरात्रि का आरंभ आश्विन प्रतिपदा तिथि से होता है और समापन दशमी तिथि को होता है। वैसे तो माता का वाहन शेर है लेकिन, नवरात्रि के दौरान मां दुर्गा अलग-अलग वाहन से आगमन करती हैं। इस बार नवरात्रि पर कई शुभ योग बन रहे हैं। माता दुर्गा गज पर सवार होकर आएंगी, जो समृद्धि का प्रतीक है। शारदीय नवरात्रि 22 सितंबर से शुरु होकर 2 अक्टूबर को दशमी तिथि के दिन समापन हो जाएगा। इस बार नवरात्रि पर ग्रहों का बहुत ही शुभ संयोग बना हुआ है। नवरात्रि पर इस बार बुधादित्य राजयोग, भद्र राजयोग, धन योग (चंद्र मंगल युति तुला राशि में), त्रिग्रह योग (चंद्रमा बुध और सूर्य की युति कन्या राशि में) और गजेसरी राजयोग का शुभ संयोग रहने वाला है। नवरात्रि का आरंभ गजकेसरी राजयोग से हो रहा है क्योंकि गुरु और चंद्रमा एक दूसरे से केंद्र भाव में होंगे। गुरु मिथुन राशि में और चंद्रमा कन्या राशि में गोचर करेंगे जिससे गजकेसरी राजयोग का निर्माण होगा। Shardi Navratri

Comments

Popular posts from this blog

लोगों के बीच आया WCSO का 1090 Mascot

नए अल्ट्रा-हाई टैक्स की वजह से विदेशी अवैध ऑनलाइन गेम्स का रुख कर रहे भारतीय

कैफे दिल्ली हाइट्स की नवाबों के शहर लखनऊ मे शुरुआत