महिलाओं में धूम्रपान और शराब की बढ़ती लत चिंताजनक: डॉ एस पी जैसवार

हेल्प यू द्वारा नशा उन्मूलन दिवस पर आनलाइन गूफतगू विषय पर संगोष्ठïी महिलाओं में धूम्रपान और शराब की बढ़ती लत चिंताजनक: डॉ एस पी जैसवार लखनऊ। नशा एक धीमा जहर है जो इंसान को धीरे.धीरे अपनी गिरफ्त में लेता है एवं उसकी जिन्दगी खत्म कर देता है, इनके सेवन से न सिर्फ विभिन्न प्रकार की शारीरिक व्याधियों पैदा होती है अपितु व्यक्ति परिवार व समाज के विघटन के साथ अपराधिक गतिविधियों में भी इजाफा होता है। रविवार को अंतराष्ट्रीय नशा निरोधक दिवस के अवसर पर हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट ने ऑनलाइन गुफ़्तगू विषयक नशा अर्थात नाश का आयोजन किया जिसमें कई वक्ताओं, डॉ एस पी जैसवार प्रसूतिशास्री के जी एम यू डॉ विराट वर्मा बाल रोग विशेषज्ञ तथा उमाशंकर दुबे अध्यक्ष लखनऊ जनकल्याण समिति ने अपने विचार रखे। डॉ जैसवार ने महिलाओं में बढ़ती हुई नशे की लत पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा वर्तमान में महिलाओं में भी धूम्रपान का प्रचलन बढ़ रहा है। मादक पदार्थ तथा स्मैक ब्राउन शुगर, हेरोइन आदि के सेवन से महिलाओं में अवसाद बोध की स्थिति उत्पन्न हो रही है एवं उनके व्यक्तित्व का समग्र विकास बाधित हो रहा है। खासकर ग्रामीण क्षेत्र की महिलाओं द्वारा बीड़ी व तंबाकू का उपयोग बड़े पैमाने पर किया जाता है। नशा मुक्ति संस्था के मुताबिक समाज में 20 फ ीसदी महिलाएं ऐसी हैं जो धूम्रपान या तंबाकू का प्रयोग करती हैं। इनमें वे महिलाएं भी शामिल हैं जो गर्भावस्था के दौरान भी धूम्रपान करती हैं जिसका प्रभाव उनके होने वाले शिशु पर पड़ता है और वह शारीरिक व मानसिक रूप से कमजोर होते हैं या फिर मृत पैदा होते हैं। धूम्रपान से बच्चे सडन इंफेंट डेथ सिंड्रोम एसआईडीएस से भी प्रभावित हो सकते हैं जिसमें शिशु की सास अचानक रूक जाती है और उसकी मौत हो जाती है। अगर कोई सामान्य महिला धूम्रपान या अल्कोहल का सेवन करती है तो उसे लिवरए त्वचा व श्वास संबंधी रोग हो जाते हैं। काउंसलिंग व दवाइयों के द्वारा नशे से मुक्ति पायी जा सकती है। डॉ विराट वर्मा ने बच्चों और किशोरों में बढ़ती हुई नशे की लत के बारे में बताते हुए कहा बच्चों में 15 से 20 साल के बच्चों में नशे की लत लगना अत्याधिक गंभीर विषय है। उच्च वर्ग के बच्चे कहीं न कहीं अपनी लोकप्रियता बढ़ाने के लिए नशे का सेवन कर रहे है वहीँ निम्न वर्ग के बच्चों को भीख मंगवाने या मानव तस्करी के धंधे में धकेलने के लिए नशीले पदार्थों का उपयोग किया जाता है। बच्चों में नशा निश्चय ही बेहद खतरनाक है क्योंकि ये ना सिर्फ उनके शरीर के साथ खेलता है बल्कि उनके मानसिक विकास में भी प्रतिरोध पैदा करता है। उमाशंकर दुबे ने समाज मे नशे के कारण हो रहे विनाश पर प्रकाश डालते हुए कहा नशा सिर्फ व्यक्ति के शरीर व दिमाग को ही नहीं बल्कि परिवार समाज और देश को भी दूषित कर देता है। मादक पदार्थों एवं नशीली दवाओं आदि से उत्पन्न नशे की लत से प्राय: महिलाएं सबसे अधिक शारीरिक उत्पीडऩ तथा पारिवारिक समस्याओं का शिकार होती हैं। लंबे समय तक नशीले पदार्थों के सेवन से न सिर्फ शरीर पर बुरा असर पड़ता है बल्कि शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता भी घट जाती है। आज सरकार के द्वारा नशा उन्मूलन हेतु अनेक कदम उठाए जा रहे हैं, हर शहर मे नशा उन्मूलन केंद्र खोले जा रहे है लेकिन जब तक नशीले पदार्थों की खेती पर रोक नहीं लगेगी तब तक नशे का नाश करना थोड़ा मुश्किल है। संयोजक डॉ रूपल अग्रवाल ने सभी वक्ताओं का आभार व्यक्त करते हुए कहा दम मारो दम, मिट जाए गम। कई लोग गम मिटाने के लिए ही नशा करते हैं लेकिन हद तक जाने के बाद जब धुएं में सेहत भी उडऩे लगती है, तो इसे छोडऩे के कई प्रयास करते हैं लेकिन यह नशा छूट नहीं पाता। हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट द्वारा आयोजित इस ऑनलाइन गुफ़्तगू में मैं बस इतना ही कहना चाहूँगी कि अपने परिवार समाज और देश के उज्जवल भविष्य हेतु नशे से दूर रहे और एक स्वस्थ एवं सुरक्षित कल का निर्माण करे, आइए मिलकर आवाज उठाए नशा मुक्त भारत के सपने को साकार कर दिखलाये। -------------------------------------------------------------------------------------------------- HELP U

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