6-इन-1 वैक्‍सीनेशन – शिशुओं और माता-पिता के लिए वरदान : डॉ संजय

उत्तरप्रदेश में टीकाकरण कवरेज 69.6% से बढ़ाकर 90% किया जाना चाहिए; शहरी क्षेत्रों में अधिक ध्यान देने की जरूरत लखनऊ : बच्चे असंख्य कीटाणुओं के संपर्क में आते हैं, जिनमें से कुछ गंभीर बीमारियों का कारण बन सकते हैं। बच्चे की प्रतिरक्षा प्रणाली अभी भी विकसित हो रही होती है, ऐसे में वह सभी घातक बीमारियों से नहीं लड़ सकता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, सभी आयु समूहों में डिप्थीरिया, पर्टसिस (काली खांसी) और टेटनस जैसे संक्रमणों से होने वाली मौतों को रोकने के लिए टीकाकरण सबसे सफल सार्वजनिक स्वास्थ्य हस्तक्षेपों में से एक है।[i]6 इन 1 कॉम्बिनेशन वैक्‍सीनेशन (टीकाकरण) बच्चों को 6 गंभीर बीमारियों: डिप्थीरिया, पर्टुसिस, टेटनस, हीमोफिलस इन्फ्लुएंजा टाइप बी, हेपेटाइटिस बी और पोलियोमाइलाइटिस से बचाता है। इस बारे में डॉ संजय निरंजन, सीनियर कंसल्‍टेशन पिडियाट्रिशियन लखनऊ और प्रेसीडेंट इलैक्‍ट उत्‍तर प्रदेश स्‍टेट ब्रांच, इंडियन एकेडमी ऑफ पिडियाट्रिशियल ने कहा कंबीनेशन वैक्‍सीनेशन बच्‍चों के लिए बहुत फायदेमंद है क्‍योंकि इससे बच्‍चों को बार-बार सुईं चुभोने की जरूरत नहीं होती, और उन्‍हें उन सभी रोगों से सुरक्षा मिलती है। इसके साइड इफेक्‍ट्स भी अपेक्षाकृत कम होते हैं। यह पेरेंट्स के लिए वरदान है क्‍योंकि यह उन्‍हें अपने बच्‍चों को बार-बार क्‍लीनिक ले जाने की तकलीफ से बचाता है। पेरेंट्स को अब बच्‍चों के कंबीनेशन वैक्‍सीनेशन के फायदों के बारे में काफी जानकारी है। इंडियन एकेडमी ऑफ पीडियाट्रिक्स[ii] के टीकाकरण कार्यक्रम के अनुसार, बच्चों को 6, 10 और 14 सप्ताह की उम्र में DTP-IPV-Hib-HepBके टीके लगवाने होते हैं। 6-इन-1 टीकाकरण इन 6 रोगों से सुरक्षा प्रदान करता है। 6-इन-1 टीकाकरण का मतलब है कि बच्चे इनमें से प्रत्येक समय पर केवल 2 इंजेक्शन (यानी 6-इन-1 टीकाकरण और न्यूमोकोकल टीकाकरण) तथा 1 ओरल वैक्‍सीन (रोटावायरस टीकाकरण) लेते हैं। कॉम्बिनेशन शॉट नहीं लेने वाले बच्चों को और भी कई इंजेक्शन लेने पड़ते। हाल के वर्षों में, भारत ने देश में टीकाकरण कवरेज बढ़ाने के अपने प्रयासों को तेज कर दिया है, जिसके परिणामस्वरूप राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण - एनएफएचएस -5 से उल्लेखनीय सुधार का पता चला है। भारत में पूर्ण टीकाकरण* वाले 12 से 23 महीने के आयु वर्ग के बच्चों का प्रतिशत 62% (एनएफएचएस-4; 2015-16) से बढ़कर 76.4% (एनएफएचएस-5; 2019-21) हो गया है और उत्तरप्रदेशमें यह 51.1% to 69.6% हो गया है। हाल के एक अध्ययन[iii] से यह भी पता चला है कि ग्रामीण क्षेत्रों में टीकाकरण कवरेज में उल्लेखनीय सुधार हुआ है, लेकिन शहरी क्षेत्रों में सीमित सुधार हुआ है। माता-पिता को टीकाकरण के लाभों और टीकों की उपलब्धता के बारे में जागरूक करने, पूर्ण टीकाकरण कवरेज को 90% और उससे अधिक बढ़ाने के लिए और अधिक प्रयास किए जाने की आवश्यकता है। कॉम्बिनेशन वैक्‍सीनेशन से बच्चों को कम इंजेक्‍शन लगाने पड़ते हैं लेकिन उन्हें उतनी ही सुरक्षा मिलती है जितनी अलग टीकों के साथ होती है। --------------------------------------------------------------- Dr Sanjay Niranjan Indian Academy of Pediatrics, World Health Organization. Immunization, Kulkarni S, Thampi V, Deshmukh D, Gadhari M, Chandrasekar R, Phadke M. Trends in Urban Immunization Coverage in India: A Meta-Analysis and Meta-Regression [published online ahead of print, 2021 Sep 16]. Indian J Pediatr. 2021;1-11. doi:10.1007/s12098-021-03843-0

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