प्राचीन कोसल राज्य को अवध राज्य के रूप में मान्यता दी जाए : रवीन्द्र प्रताप सिंह


पूर्वी उत्तर प्रदेश को अवध राज्य के रूप में पुनर्गठित करने की मांग उठी

प्राचीन कोसल राज्य को अवध राज्य के रूप में मान्यता दी जाए : रवीन्द्र प्रताप सिंह

अवध राज्य की स्थापना से रामराज्य का वैभव लौटेगा : महंत कौशलदास महाराज

अवध राज्य आंदोलन समिति ने उत्तर प्रदेश पुनर्गठन की मांग उठाई

हुजैफा
लखनऊ । उत्तर प्रदेश के बंटवारे और पुनर्गठन को लेकर अवध राज्य आंदोलन समिति ने एक वृहद आंदोलन छेड़ दिया है जिसमें संतों का संरक्षण मिलना शुरू हो गया है। उत्तर प्रदेश के समग्र विकास हेतु यह आवश्यक है कि उत्तर प्रदेश का बंटवारा पूर्वी और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के रूप में करके राज्य को पुनर्गठित किया जाए। पूर्वी उत्तर प्रदेश को अवध राज्य और पश्चिमी उत्तर प्रदेश का नामकरण वहां की जनता के मंशा के अनुरूप किया जाये। उक्त मांग अवध राज्य आंदोलन समिति के संयोजक रवींद्र प्रताप सिंह ने राजधानी के यूपी प्रेस क्लब में वार्ता करते हुए की। उन्होंने कहा कि अवध राज्य एक नैसर्गिक राज्य है जिसकी स्थापना मानव सभ्यता के संस्थापक महाराजा मनु के वंशज महाराजा इच्छवाकु ने सतयुग में अयोध्या नगरी और कोसल राज्य बसाकर की थी। कोसल सृष्टि का अकेला राज्य है जिस पर सतयुग से कलयुग तक एक ही वंश ने बिना किसी नरसंहार के राज्य किया। इसी कारण यह दुनिया का सबसे समृद्धि राज्य था। इस राज्य की पुनर्स्थापना बुरहान-ए-मुल्क नवाब सआदत खान ने अवध के रूप में की और इलाके की समृद्धशाली परम्परा बनीं रही। श्री सिंह ने बताया कि लालची अंग्रेज़ो ने अवध की धन सम्पदा और श्रम शक्ति लूटने के उद्देश्य से इसका राज्य का दर्ज़ा समाप्त करके आगरा के साथ मिलाकर संयुक्त प्रान्त नाम का आप्रकृतिक राज्य बना दिया। स्वतन्त्र भारत की सरकार ने इसी का नामकरण उत्तर प्रदेश के नाम से कर दिया। संयोजक रवीन्द्र प्रताप सिंह ने पूर्वी उत्तर प्रदेश की दुर्दशा पर प्रकाश डालते हुए कही कि प्रचुर प्राकृतिक संसाधन, श्रम शक्ति और मेधा होने के बाद भी सृष्टि के सबसे प्राचीनतम और समृद्धिशाली राज्य के लोग अपने ही देश में भइया के नाम से हंसी के पात्र हैं । पूरा इलाका भूख, अशिक्षा, गरीबी, बेरोज़गारी और बिमारी से जूझ रहा है।  अवध राज्य के 37 जिलें जो प्राचीन कोसल राज्य के थे, उनकी जानकारी देते हुए रवीन्द्र प्रताप ने बताया कि लखीमपुर खीरी, हरदोई, कानपुर नगर, कौशाम्बी, प्रयागराज, मिर्जापुर, सोनभद्र, चन्दौली, बलिया, कुशीनगर, महारजगंज, बलरामपुर, श्रावस्ती और बहराइच की सीमा से घिरे हुए इन जिलों को अलग कर अवध राज्य की स्थापना करना आवश्यक है।
अयोध्या के सर्वमान्य महंत नृत्यगोपाल दास के शिष्य लखनऊ के टिकैतराय तालाब स्थित रामजानकी मंदिर के महंत कौशलदास महाराज ने अवध राज्य आंदोलन को मानसिक और सैद्धांतिक सहमति जताते हुए कहा कि राम मंदिर निर्माण के बाद रामराज्य की स्थापना होने से अवध का प्राचीन वैभव वापस आ जाएगा।
उपाध्यक्ष कौशलेन्द्र प्रताप सिंह ने कहा कि बीती ताहि बिसारी दे अब समय आ गया है कि केंद्र सरकार उत्तर प्रदेश का बटवारा करके पूर्वी भाग को हमें एक बार फिर अवध राज्य के नाम से वही पुराना राज्य वापस कर दें। यहाँ कि जनता वैभव का इतिहास खुद लिख लेगी। इस अवसर पर शिव कुमार, विपिन यादव आदि ने अपने विचार रखें और अवध राज्य की स्थापना के प्रति अपनी प्रतिबद्धता जतायी।

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