स्टार आरटीआई एक्टिविस्ट सिद्धार्थ तो मेरे लिये भगवान बनकर आयेः माही की मां

दो महीनों से गायब बालिका मुम्बई के षेलर्ट होम से बरामद
लखनऊ। लडकियां, महिलाएं बच्चियां कहीं सुरक्षित हैं क्या ? एक आम आदमी की बेटी करीब दो महीनों बाद मुम्बई के षेल्टर होम से सिद्धार्थ नारायण के पत्रों और आरटीआई से मांगी गयी सूचना से मुम्बई पुलिस ने बरामद की।

 दो महीनों से गाजीपुर थाना क्षेत्र के ए-1495 इन्दिरानगर लखनऊ की गायब बालिका जिसने इसी साल हाईस्कूल की परीक्षा उत्तीर्ण की थी गायब थी परिवार पुलिस के चक्कर लगाकर थक जाने के बाद आप बीती मीडियों को बताने स्थानिय प्रेस क्लब आया। बालिका के पिता अरविन्द कुमार वर्मा ने बताया कि उनकी 15 वर्षीय नाबालिग बड़ी बेटी 30 जून की शाम घर से सायकिल चलाने निकली और वापस नहीं लौटी। उसी दिन शाम को गाजीपुर थाने में एफआईआर दर्ज करायी गयी और रात लगभग ढाई बजे उसकी साइकिल भूतनाथ बाजार के पास से पुलिस को मिली परन्तु मेरी बेटी का पता नहीं चला। रोती-बिलखती माँ ने कहा कि तब से हम लगातार थाने के चक्कर लगा रहे हैं और पुलिस हाथ पर हाथ रखे बैठी रही। किसी पारिवारिक रंजिश से इंकार करते हुए माही के पिता अरविन्द ने बताया कि छानबीन के नाम पर पुलिस ने मेरा लैपटॉप 3 जुलाई को लिया था और दो लगभग डेढ माह बाद वापस किया। डेटा रिकवर कराने के लिये पुलिस ने 6 हजार की हाडडिस्क पिता से भी मगाई की इसकी फॉरेंसिक जाँच की जांच से पता चला की माही ने मुम्बई के बारे में सर्च किया था। परिवार की मुलाकात एक पत्रकार मिसेस अबरार के माध्यम से स्टार आरटीआई स्पेषिलिस्ट सिद्धार्थ नारायण से हुई। सिद्धार्थ ने मामला संगीन समझकर बिना अपनी फीस लिये सीएमएओ कार्यलय
में आरटीआई डाली। चाइल्ड लाइन, सहित जितने भी महिला संगठन बच्चियों और महिलाओं के लिये काम कर रहे सब को फोन और पत्रों द्वारा सूचित करने के बाद मुम्बई पुलिस कमिषन सहित मुम्बई के सभी आला अधिकारियों को गत 20 अगस्त को पत्र प्रक्षित किये। जिस आधार पर डोगरी के षेल्टर होम से बालिका
के होने की सूचना मुम्बई पुलिसे ने लखनऊ पुलिस को दी, लखनऊ पुलिस ने बालिका के माता-पिता को इसकी जानकारी दी। बालिका के माता-पिता अपनी बेटी से बात कर के की यही मेरी बेटी उसे लेने मुम्बई रवाना हो गये और उसे कानूनी कार्रवाई के बाद लखनऊ लेकर वापस आ गये।

बालिका सकुषल घर तो वापस आ गयी किन्तु वह वहां कैसे और किस के साथ गयी किन परिस्थितियों में वहां पहुंची यह सच्चाई अभी तक किसी को नहीं बताई। इससे परिवार वाले आषंका में है कि कहीं बेटी के साथ फिर कोई अनहोनी न हो जाये और जो उसे बरगला के ले गया कहीं वह फिर से तो उसकी बेटी को नहीं ले
जायेगा आदि सवालो से परेषान परिवार अपनी बेटी को अपने पास न रख के उसे कहीं और सुरक्षित जगह रखे हुए है। विषेषज्ञों ने बताया कि हो सकता है इसे कोई हारमोनल इंजेक्षन दिये गये हो जिससे यह अभी सामान्य नहीं हो पाई है। सिद्धार्थ ने अपनी फीस में माही से कहा कि वह पत्रकार मिसेज अबरार को मां का दर्जा दे कि इनके कहने पर मैने यह केस साल्व किया। सिद्धार्थ ने माननीय सूचना आयोग का इस मामले में सहयोग के लिये आभार जताया।


अब सवाल उठता है कि आखिर इन्दिरा नगर से कौन सा गैंग सक्रिय होकर बेटियों को अगवा कर रहा है। पुलिस इस पर कोई सार्थक पहल क्यूं नहीं कर पा रही है। पुलिस तो दूसरे के द्वारा केस साल्व होने पर खुद को क्रेडिट देने में लगी है। पुलिस को जो भी सुबूत मिले है उस आघार पर बच्चियों को बरगलाने वाले गैंग का पर्दाफाष करना होगा तभी उसे उसका क्रेडिट लेना होगा नहीं तो खुद की पीठ उसे थपथपाने को कुछ खास हक नहंी है।

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