हिम्स में आचार्य मनीष ने अध्ययन व उपचार के हवाले से कहा गुर्दे स्वयं ठीक होने में सक्षम

लखनऊ। हॉस्पिटल एंड इंस्टीट्यूट ऑफ इंटीग्रेटेड मेडिकल साइंसेस हिम्स ने हाल ही में गुर्दे की गंभीर बीमारियों से पीडि़त और लंबे समय से डायलिसिस पर चल रहे दो युवकों कुशल तिवारी और गुरसेवक सिंह का आयुर्वेद प्राकृतिक चिकित्सा और पंचकर्म विज्ञान के माध्यम से सफलतापूर्वक इलाज किया है। हिम्स में किसी भी रोग के मूल कारण को दूर करने का काम किया जाता है। वयस्क गुर्दे लगातार बढ़ते हैं और खुद को फि र से तैयार करते हैं इसीलिए उनमें रीजेनेरेशन और हीलिंग की क्षमता होती है यही कारण है कि हमारे उपचार में डायलिसिस या किडनी ट्रांसप्लांट पर जोर देने के बजाये गुर्दे के रीजेनेरेशन पर ध्यान दिया जाता है। हिम्स के आचार्य गुरु मनीष ने बताया कि हार्वर्ड यूनिवर्सिटी रिसर्च स्टडीज और अमेरिका व इजरायल के शोधकर्ताओं द्वारा किए गए कुछ अन्य अध्ययनों द्वारा गुर्दे के रीजेनेरेशन के दावे का समर्थन किया। इनमें से एक अध्ययन चूहों पर किए गए प्रयोगों को दर्शाता है, जिसमें कहा गया है कि गुर्दे लगातार नई कोशिकाओं का निर्माण करते हैं। दोनों पीडि़तों की इलाज से पहले और बाद की रिपोर्टों में अंतर दिखाई देता है। 24 वर्षीय कुशल पुराने गुर्दा रोग से पीडि़त थे और लंबे समय से डायलिसिस पर थे। उनकी ग्लोबल जीएफ आर या ग्लोमेरुलर फि ल्ट्रेशन दर एक रक्त परीक्षण जिससे किडनी की कार्यक्षमता जांची जाती है, 0,391 मिली मिनट थी यानी उन्हें ईएसआरडी ऐंड स्टेज रीनल डिसीज थी अर्थात कोई अन्य इलाज कारगर नहीं था। उन्हें किडनी ट्रांसप्लांट कराना होगा जो केवल 4,5 साल ही काम करेगा। यह राय मिलने के बाद कुशल ने हिम्स अस्पताल डेराबस्सी जाने का फैसला किया। हिम्स में इलाज के तीन महीने के दौरान ही उनका डायलिसिस बंद हो गया और ग्लोबल जीएफ आर बढ़कर 9,306 मिली मिनट हो गया। एक अन्य 18 वर्षीय रोगी गुरसेवक सिंह भी गुर्दे की पुरानी बीमारी से पीडि़त थे और लगातार डायलिसिस पर थे। जब वो हिम्स पहुंचे तब व्हील चेयर पर थे और उसका हार्ट भी कम काम कर रहा था। 27 नवंबर-21 को उसका जीएफआर 8,9 था। हिम्स में मात्र 3 महीने इलाज कराने के बाद 21 फरवरी 2022 तक उनका जीएफआर बढ़कर 18,2 हो गया और डायलिसिस भी बंद हो गया। हिम्स अस्पताल में ग्रेड थेरेपी गुरुत्वाकर्षण प्रतिरोध और आहार का प्रयोग होता है, जिससे 27 प्रमुख आपात स्थितियों और जीवन के लिए खतरा पैदा करने वाली स्थितियों का खुद से प्रबंधन करने में मदद मिलती है। यहां जीवन शैली में परिवर्तन करके प्राकृतिक चिकित्सा, आयुर्वेद और पंचकर्म के जरिए रोगों का इलाज किया जाता है। हिम्स का मुख्य उददेश्य लोगों को उनके स्वास्थ्य और जीवन की गुणवत्ता में सुधार हेतु पारंपरिक उपचार लेने में सहायता प्रदान करना है और यही तरीका हाल ही में दो गुर्दा रोगियों के साथ भी अपनाया गया। हिम्स अस्पताल में आचार्य मनीष, डॉ पांडेय, डॉ बिस्वरूप रॉय चौधरी, डॉ आजाद और उनकी टीम गुर्दे की बीमारी के मूल कारण पर काम करती है और आयुर्वेद प्राकृतिक चिकित्सा तथा पंचकर्म की मदद से लोगों को गुर्दे की पुरानी बीमारियों से उबरने में मदद करती है। कुशल तिवारी और गुरसेवक सिंह की तरह उन्होंने गुर्दे की विफलता और गुर्दे की पुरानी बीमारियों से पीडि़त अन्य कई रोगियों का भी इलाज किया है, जो दशकों से डायलिसिस पर थे और हिम्स में इलाज के कुछ ही महीनों के भीतर ठीक हो गए। --------------------------------------------------- Hims Hospital Manish Guro

Comments

Popular posts from this blog

फिक्की एफएलओ ने महिला उद्यमियों को सशक्त करने के लिए सिलीगुड़ी चैप्टर लांच

ब्लूस्टोन के 'बिग गोल्ड अपग्रेड' ने पुराने सोने के एक्सचेंज की बढ़ायी चमक!

बिरला फर्टिलिटी एंड आई. वी. एफ. को लखनऊ सेंटर में बेहतरीन क्लिनिकल परिणाम