कोविड.19 के इलाज के लिए सेप्सिस का उचित ज्ञान जरूरी

वर्ल्ड सेप्सिस डे


कोविड.19 के इलाज के लिए  सेप्सिस का  उचित ज्ञान जरूरी है. 

रीजेंसी सुपरस्पेशलिटी अस्पताल के स्वास्थ्य विशेषज्ञ


. सेप्सिस तथा कोविड के मरीज कई प्रकार की चुनौतियों का सामना कर सकते है। 


. सेप्सिस और कोविड की पैथोफिजियोलॉजी के लिए हेल्थकेयर प्रोवाइडर को सचेत रहना चाहिए। 


. अधिक रुग्णता और मृत्यु दर के बावजूद 1ण्34 बिलियन लोगों की जनसंख्या वाले देश भारत में सेप्सिस के बारें में बहुत कम जागरूकता है। 


12 सितंबर 2020ए लखनऊरू वर्ल्ड सेप्सिस डे के मौके पर रीजेंसी सुपरस्पेशलिटी हॉस्पिटलए लखनऊ के क्रिटिकल केयरए एनिस्थिया तथा एमरजेंसी मेडिसिनए हेडए डॉ यश जावेरी ने कहा कि कोविड मरीज को  कई चुनौतियों का सामना करना पड़ता हैं जैसे की सेप्सिस मरीज को।  कोविड19 दीर्घकालिक प्रभाव भी बुरे होते हैं। कोविड.19 के साथ सेप्सिस होने का परिणाम बहुत ही बुरा होता है। कोविड मरीज में सेप्सिस होने पर अगर सही से इलाज नहीं हुआ तो यह जानलेवा हो सकता है।


कई स्टडी के अनुसार सेप्सिस एक संभावित जानलेवा बीमारी है जो इन्फेक्शन के प्रति  शरीर की  प्रतिक्रिया की वजह से होता है। आमतौर पर इसे श्ब्लड पॉइज़निंग ष्कहा जाता है। यह शरीर में कईप रिवर्तन कर देता है जिसके कारण मल्टीपल ऑर्गन सिस्टम डैमेज हो सकता है। ऑर्गन फेल भी हो सकते हैं कभी.कभी इससे मौत भी हो सकती है। द लैंसेंट में पब्लिश हुई एक ग्लोबल रिपोर्ट के मुताबिक भारत में अभी भी सेप्सिस से उच्च मृत्युदर है । शुरू में इसकी पहचान और ढप्रोटोकॉलीकृत ट्रीटमेंट होने से सेप्सिस को ठीक किया जा सकता हैं। शुरुआत में पता करने के लिए इसके प्रति में समाज में जागरूकता की जरुरत है। 


रीजेंसी सुपरस्पेशलिटी हॉस्पिटलए लखनऊ के क्रिटिकल केयर एएनिस्थिया तथा एमरजेंसी मेडिसिनए हेड और इंडियन सेप्सिस फोरम के संयोजक डॉ यश जावेरी ने कहाए ष्कोविड इन्फेक्शन की वजह से गंभीर एक्यूट रेसपिरेटरी डिस्ट्रेस सिंड्रोम हो सकता है लेकिन बहुत से गंभीर कोविड.19 की कई अभिव्यक्तियाँ ;मैनीफेस्टेशनद्ध और परिणाम दूसरे पैथोजन्स से होने वाले सेप्सिस की तरह होते हैं। इससे कई अंग जैसे कि हार्टए लीवरए किडनी और ब्रेन पर हानिकारक प्रभाव पड़ता है। और इसलिए इसकी अधिक रुग्णता और मृत्यु दर  होती है। जिस मरीज को पहले से ही सिरोसिसए कैंसरए किडनी की बीमारीए हार्ट की परेशानी और डायबिटीज होती है उनमे दोनों वायरस से इन्फेक्ट होने की संभावना ज्यादा होती है क्योंकि उनका इम्यून सिस्टम कमजोर होता है। अधिक रुग्णता और मृत्यु दर के बावजूद 1ण्34 बिलियन लोगों की जनसंख्या वाले देश भारत में सेप्सिस के बारें में बहुत कम जागरूकता है। हार्ट की बीमारी की तुलना में सेप्सिस से ज्यादा लोग मरते हैं। इस समस्या एंटीमाइक्रोबियल रजिस्टेंस के कारण बहुत तेजी से बढ़ रही हैए जोकि भारत में पहले सेही एक प्रमुख स्वास्थ्य समस्या है। डॉ यश जावेरी ने आगे कहाए ष्लगभग 20 से 25ः आईसीयू के मरीजों में सेप्सिस होता है और उनकी मोर्टेलिटी रेट लगभग 40ः होती है। यह बहुत सही समय है कि इस कंडीशन को गंभीरता से लिया जाए। यह यूरिनरी ट्रैक्ट इन्फेक्शनए मलेरिया या दूसरी इन्फेक्शन से होने वाली बीमारियों से हो सकता है। हॉस्पिटल में होने वाले इन्फेक्शन से भी सेप्सिस होता है। इसलिए इन्फेक्शन कंट्रोल प्रोटोकाल का पालन बहुत ही सख्ती से किया जाना चाहिए। कोविड.19 और सेप्सिस के पैथोफिजियोलोजी में बहुत समानता होती है। दोनों इम्यून सिस्टम के अनियमितता होने पर होती हैं। कोविड के मरीजों में सेप्सिस के संकेत हो सकते हैं। सेप्सिस और इसके लक्षणों के बारे में जनता और हेल्थकेयर प्रोवाइडर को जागरूक करना बहुत जरूरी है। हमें हेल्थकेयर फैसिलिटी को पहले जागरूक करना चाहिए। सेप्सिस के मरीजों को सही एंटीबायोटिक और तेजी से ट्रीटमेंट और साफ.सफाई को मेंटेन करने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिये। सेप्सिस के शुरुआती संकेतो और लक्षणों के बारे मेंए और इसके खतरों के बारे में जागरूकता बढ़ाने से इस रोग से बचा जा सकता हैं और इससे होने वाली कॉम्प्लिकेशंस को टाला जा सकता हैं। सेप्सिस का पता लगाना मुश्किल हो सकता है। बहुत सारे संभावित लक्षण हो सकते हैं और लक्षण अस्पष्ट हो सकते हैं। वे दूसरी बीमारियों के लक्षण की तरह हो सकते हैं जैसे की फ़्लू या छाती का इन्फेक्शन । किसी भी मेडिकल इमरजेंसी से बचने के लिए सेप्सिस का जल्द पता लगाने और सही से इलाज करना जरूरी होता है। जिन मरीजों में अंतर्निहित स्वास्थ्य समस्याएं जैसे डायबिटीज होती है उन्हें ऐसे इन्फेक्शन के प्रति सचेत रहना चाहिए। ऐसे मरीजों को घावों को चेक करने के लिए पैरों की पूरी जांच करनी चाहिएए इससे इन्फेक्शन हो सकता है। लोगों को अपने चिकित्सकों द्वारा सलाह के अनुसार खुद को टीका लगवाना चाहिए। इन्फेक्शन के रोकथाम के उपायों का आकलन किया जाना चाहिए और जहाँ पर इसके केस ज्यादा हो वहां इन रोकथाम के उपायों को लागू करना चाहिए।  नवजात बच्चों और बुजुर्ग लोगों में इन रोकथाम के उपायों को लागू करके सेप्सिस और कोविड दोनों को खत्म किया जा सकता है। मरीजों और जनता को शिक्षित करके आप मेडिकल इमरजेंसी के लिए ट्रीटमेंट को लेकर किसी को प्रोत्साहित कर सकते हैं। सेप्सिस के प्रति लोगों के बीच जागरूकता पैदा करके लोगों की जान बचाई जा सकती है।


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