लखनऊ-जातिय समीकरण में पूनम सिंहा राजनाथ पर भारी
हुजैफा
लखनऊ। गठबंधन की सपा प्रत्याशी पूनम सिंहा जातिय समीकरण में राजनाथ पर भारी है। गठबंधन ने कांग्रेस प्रत्याशी शत्रुघ्न सिन्हा की पत्नी पूनम सिन्हा को सपा का उम्मीदवार बनाया तो, कांग्रेस ने भी सियासी दांव चलते हुए धर्मगुरु आचार्य प्रमोद कृष्णन को चुनावी मौदान में ऊतार दिया। यदि दलिय और जतीय समीकरण देखे तो पूमन सिंहा लखनऊ के वर्तमान सांसद राजनाथ सिंह से भारी पड़ती दिख रही है। कांग्रेस प्रत्याशी प्रमोद कृषणन की स्थिति तीसरे स्थान पर दिख रही है। लखनऊ का मुकाबला हमेशा से दिलचस्प रहा है। कभी नेताओं को लेकर तो कभी फिल्मी कलाकरों को लेकर यहां लोगों का रुझान बदलता रहा है। वैसे यह सीट अटल की विरासत होने की वजह से और भी महत्वपूर्ण हो जाती है। सिने स्टार रही पूनम सिंन्हा इस बार सपा-बसपा-रालोद गठबंधन की संयुक्त उम्मीदवार हैं। वैसे तो यहां त्रिकोणिय मुकाबला है लेकिन मुख्य लड़ाई राजनाथ और पूनम में ही होने की आशा है। इस सीट पर तीनों प्रत्याशी लखनऊ के बाहर के है। इस सीट पर नब्बे के दशक से भाजपा का कब्जा है, जब यहां से पहली बार अटल बिहारी बाजपेई भाजपा से सांसद बने और प्रधानमंत्री भी बने। व्यापारी और शिक्षित वर्ग के कारण लखनऊ लोकसभा सीट को भाजपा का मजबूत गढ़ माना जाता है। यहां के मतदाताओं का कांग्रेस, सपा और भाजपा को सहयोग मिलता रहा है। मुस्लिम समीकरण और बसपा के वोटबैक के आधार तथा गत सरकार में किये गये सपा के विकास कार्यो के कारण यहां पर पूनम सिंह की स्थिति अधिक मजबूत मानी जा रही है। अब मोदी लहर न होने के कारण राजनाथ उतने प्रभावी पूनम के सामने नहीं दिख रहे है। लखनऊ लोकसभा सीट के राजनीतिक समीकरण के अनुसार यहां बड़ी आबादी मुस्लिम समुदाय समाज की है। जातिगत आधार पर लखनऊ लोकसभा क्षेत्र में मतदाता के रूप में मुस्लिम 20 फीसदी, अनुसूचित जाति 14,5 फीसदीए ब्राह्मण 8 फीसदी, राजपूत 7 फीसदी, ओबीसी 28 फीसदी, वैश्य 10 और अन्य 12 फीसदी हैं। लखनऊ संसदीय सीट में पांच विधानसभा सीटें हैं और मौजूदा समय में सभी पर बीजेपी का कब्जा है। सपा और बसपा इस सीट पर कभी भी जीत दर्ज नहीं करा सकी हैं। ऐसे में इस सीट पर सपा के खाता खोलने की जिम्मेदारी पूनम सिंन्हा के कंधों पर है। पूनम को सिंद्घि समाज, पंजाबी समाज और कुर्मी समाज का फायदा जातिय आधार पर मिलने की संभावना है। पूनम इन दिनों राजधानी की सड़को पर आज-कल पसीना बहाकर लोगों के बीच जनसंपर्क कर रही है। पूनम सिंहा सिंधि है, ससुराल कायस्थ है। इस तरह पूनम को गठबंधन का वोट मिलेगा, यानि उनको दलित, पिछड़ा वर्ग , अल्पसंख्यक, यादव समाज, कायस्थ समाज , सिंधि समाज का वोट मिलने से उनकी स्थिति गृहमंत्री से ज्यादा स्ट्रांग है।
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